Tuesday, September 17, 2024

तंत्र मन्त्र से जीवन में सफलता कितनी सम्भव है

Tuesday 16th September 2024 at 6:45 PM

 यह आस्था और साधना की शिद्दत पर ही निर्भर करेगा 


लुधियाना: एक तपोबन और मंदिर भूमि:17 सितंबर 2024:( मीडिया लिंक//तंत्र स्क्रीन डेस्क)::

बहुत से मामले और बहुत सी बातें बिलकुल सच होते हैं लेकिन उनका सच दिखाई नहीं देता। उनका कोई सबूत भी नहीं होता। उन्हें साबित करना संभव नहीं होता। बहुत से मामलों में सच जैसा कुछ दिखाई तो देता है लेकिन होता वह झूठ ही है। विज्ञान की प्रयोगशाला में सब कुछ साबित करना संभव भी नहीं होता। यही सच्चाई तंत्र मंत्र और यंत्र के प्रयोग पर भी लागू होती है। इसे विश्वास  नहीं  सवालों के चश्मे से देखना उचित भी नहीं क्यूंकि तंत्र मंत्र उन लोगों के बिगड़े हुए काम ज़रूर बना देते हैं जिनका आत्म विश्वास डगमगा चुका होता है। जिन्हें खुद पर विश्वास नहीं रहा होता। तंत्र मंत्र उन्हें फायदा पहुंचाते हैं। 

इसी तरह के ढंग तरीकों से उनके मन की एकाग्रता भी बढ़ती है और दिमाग की भी। तंत्र-मंत्र-यंत्र और साथ में  सामूहिक जाप उनमें शक्ति जगाता है। यह जाएगी हुई शक्ति ही उनमें एक नए जोश का संचार करती है। आप इस शक्ति को कोई भी नाम दे सकते हैं। वैसे जिस शक्ति के नाम से जाप हो रहा होता उस समय साधक के सामने वही शक्ति साकार  हुई होती है।  अल्पकाल की सिद्धि भी कह सकते हैं। जाप रोज़ हो रहा हो तो यही स्थाई सिद्धि भी बन जाती है। 

तंत्र मन्त्र और यंत्र का प्रयोग यूं तो व्यक्तिगत और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। लेकिन आजकल हर रोज़ की ज़िन्दगी में आने वाली छोटी मोती ज़रूरतों के लिए भी इस तरह के प्रयोग होने लगे हैं। वास्तव में यह एक प्राचीन पद्धति है जो विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति और अभिप्रेत शक्तियों के प्रकटीकरण के लिए उपयोगी मानी जाती है। इसके वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक आधार होते हैं। अगर कोई व्यक्ति आध्यात्मिक तौर पर जाग जाता है तो उसके काम खुद-ब-खुद बनने लगते हैं। उसके सामने कोई गलत व्यक्ति आने से घबराने लगता है। शक्ति का जागना यही होता है। 

तंत्र मन्त्र का प्रभाव व्यक्ति के निश्चित उद्देश्यों और उपास्य देवता/शक्ति के संबंध में भी निर्भर करता है। कुछ लोग इसे अपने साधना और स्वयं सुधार के लिए उपयोग करते हैं, जबकि दूसरे लोग यह उपयोग विशेष प्रभावों, जैसे धन, स्वास्थ्य, संघर्ष, प्रेम आदि की प्राप्ति के लिए करते हैं। इस तरह के दुनियावी काम तो अपने आप बनने लगते हैं। उनका प्रभामंडल भी सुधरने लगता है। चेहरे की चमक भी बढ़ जाती है। 

तंत्र मन्त्र के प्रभाव को व्यक्ति के श्रद्धा, विश्वास, साधना की क्षमता, उचित नियमों का पालन और निरंतरता प्रभावित कर सकते हैं। तंत्र मन्त्र की सफलता परिणाम व्यक्ति की अन्तरंग स्थिति, कर्म, दैवीय अनुमति आदि पर भी निर्भर करते हैं। साधक अंदर से जितना शुद्ध और सच्चा होगा उसे फायदा भी उतना बड़ा और जल्दी होने लगेगा। जो साधक साधना में ईमानदार नहीं होते उनकी साधना फलित नहीं होती।  मामला उल्टा भी पढ़ जाता है। 

हालांकि, तंत्र मन्त्र का उपयोग करने के दौरान सभी सावधानियां और सम्पूर्णता के साथ कार्य किया जाना चाहिए। यह मान्यता है कि तंत्र मन्त्र का दुरूपयोग अनुकरणीय प्रभावों के साथ आएगा और इससे दुष्प्रभाव भी हो सकता है। यह सब साधक की नीयत पर निर्भर करता है।  साफ़ है तो आपके  परिणाम भी जल्द आने लगेंगे। 

सफलता व्यक्ति की साधना, अध्ययन, कर्म और परिश्रम पर निर्भर करती है। तंत्र मन्त्र का प्रयोग उन लोगों द्वारा किया जाता है जो निरंतर अभ्यास करते हैं, शिक्षा प्राप्त करते हैं, आदर्शों का पालन करते हैं और नियमित रूप से अपनी साधना को जारी रखते हैं। निरंतरता और शुद्धता इस मामले में बहुत महत्व रखती है। 

च्छी गुरुभक्ति, निष्ठा, निरंतरता और सम्पूर्णता के साथ तंत्र मन्त्र के प्रयोग से सफलता की संभावना बढ़ सकती है, लेकिन इसका प्रयोग समय-समय पर अनुभवित और निश्चित गतिविधियों के साथ ही करना चाहिए। परंतु एकदिवसीय प्रयासों से मानसिक, शारीरिक या आर्थिक अभिवृद्धि की प्राप्ति निश्चित नहीं होती है। यह एक संशोधित प्रकृति और प्रयोग के लिए अवधारित कार्य है जो समय, तत्परता और समर्पण की मांग करता है। शिद्दत के साथ पूरा समर्पण, पूरी भक्ति, पूरी शुद्धता अगर हैं तो आप का मकसद सफल रहेगा। 

आप अगर ईमानदारी से समर्पित हो कर साधना करते हैं तो यकीन रखिए फायदे भी ज़रूर होंगें। शक्ति जागेगी तो आपको इसका अहसास भी कराएगी। 

Monday, September 16, 2024

ग्युतो तांत्रिक कॉलेज:तिब्बती बौद्ध ज्ञान का गढ़

Monday:16th September 2024 at 11:21 AM

एक पूर्ण और सफल इंसान बना  देते हैं इस कठिन परीक्षण से 


धर्मशाला
: (हिमाचल प्रदेश): 16 सितंबर 2024: (मीडिया लिंक//तंत्र स्क्रीन डेस्क)::

भारत में हिमाचल प्रदेश  स्थित धर्मशाला के सुरम्य शहर में स्थित, ग्युतो तांत्रिक कॉलेज तिब्बती बौद्ध धर्म की समृद्ध परंपराओं को संरक्षित करने और प्रचारित करने के लिए समर्पित एक प्रसिद्ध संस्थान है। 1474 में जेत्सुन कुंगा धोंडुप द्वारा स्थापित, जो कि प्रख्यात जे त्सोंगखापा के एक समर्पित शिष्य थे, यह प्रतिष्ठित कॉलेज सदियों से आध्यात्मिक उत्कृष्टता का प्रतीक रहा है।

बिना कोई शोर मचाए ये लोग अपने मिशन और मकसद में लगे रहते हैं। इनका उद्देश्य और इनके कार्य  भी सचमुच महान हैं। ग्युतो तांत्रिक कॉलेज वज्रयान बौद्ध धर्म की उन्नत और गूढ़ शिक्षाओं में मुहारत हासिल करने के इच्छुक भिक्षुओं के लिए प्रमुख गंतव्य है। यह विशेष कॉलेज तांत्रिक ज्ञान के उच्चतम स्तर को प्रदान करने में माहिर है, जिसमें ज़ोर दिया जाता है  बातों पर जो संक्षेप में इस तरह हैं। 

इस प्रशिक्षण के अनुष्ठान अभ्यास बहुत गहरे हैं। जटिल समारोह, पवित्र मंत्रोच्चार और तोरमा (मक्खन की मूर्ति) निर्माण पर यहां काफी ध्यान दिया जाता है। 

इसके साथ ही ध्यान और माइंडफुलनेस को बहुत परिपक्व किया जाता है।  गहन विज़ुअलाइज़ेशन तकनीक, मंत्रोच्चार और एकाग्रता के अभ्यास से  को बहुत गहराई से शिष्यों और छात्रों के मन  बैठाया जाता है। 

इस तरह की गहरी तैयारियों के बाद ही बारी आ पाती है तंत्र के प्रशिक्षण की। तांत्रिक अध्ययन के दौरान बौद्ध धर्मग्रंथों, दर्शन और प्रतीकवाद की गहन खोज करवाई जाती है। 

इस तंत्र कालेज का शैक्षणिक प्रभाव बहुत ही सूक्ष्मता से तन और मन पर प्रभाव डालता है। ग्युटो तांत्रिक कॉलेज एक परिवर्तनकारी शिक्षा प्रदान करता है, जिसके ज़रिए निम्नलिखित को पूरी तरह से विकसित किया जाता है। 

आध्यात्मिक विकास के लिए भिक्षु कठोर आध्यात्मिक अभ्यासों के माध्यम से गहन अंतर्दृष्टि, करुणा और ज्ञान विकसित करते हैं। उन्हें अभ्यास की सख्ती बहुत निपुण बना देती है। हर तरह से विकसित मानव भी और तांत्रिक भी। 

कौशल निपुणता में ट्रेनिंग के दौरान  को जप, अनुष्ठान प्रदर्शन, वाद-विवाद और कलात्मक अभिव्यक्ति (मंडल, तोरमा) में पूरी विशेषज्ञता दी जाती  है। हर तरह से पूरी तरह निपुण बना दिया जाता है। 

यहां का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद इनके छात्र सफल व्यक्ति बन जाते हैं। तरक्की के साथ साथ नेतृत्व और शिक्षण में,इनके स्नातक दुनिया भर में तिब्बती बौद्ध धर्म के सम्मानित शिक्षक, नेता और राजदूत बन जाते हैं। हर क्षेत्र में इनका डंका  बोलता है। 

यहां का पाठ्यक्रम भी बेहद महत्वपूर्ण है। कॉलेज के व्यापक पाठ्यक्रम में बहुत कुछ शामिल है नींव मज़बूत करने से लेकर जीवन के हर पहलु का निर्माण मज़बूत किया जाता है। आप कह सकते हैं कि यहाँ के  किसी भी तरह किसी सुपरमैन  नहीं होते।  संकट का सामना करना सिखाया जाता है। यहां के सिलेबस में जिन बातों पर ज़ोर दिया जाता है उनमें हैं- सूत्रयान अध्ययन: बौद्ध धर्मग्रंथों, दर्शन और नैतिकता की खोज। इसमें जीवन  पहलू नहीं छोड़ा जाता। हर विद्या सिखा दी जाती है। 

इसके बाद तंत्रयान अध्ययन गहराई से कराया जाता है। तांत्रिक अनुष्ठानों, ध्यान और विज़ुअलाइज़ेशन पर उन्नत शिक्षाएँ दी जाती हैं। जप योग और तंत्र हर मामले ये भिक्षु पूरी तरह से निपुण बन जाते हैं। 

फिर बारी आती है अनुष्ठान और समारोह अभ्यास की। इसके अंतर्गत पवित्र जप, तोरमा निर्माण और समारोह प्रक्रियाओं में पूरी गहराई से प्रशिक्षण दिया जाता है। 

यह सब सिखाने के बाद बारी आती है समुदाय और आउटरीच की। ग्युटो तांत्रिक कॉलेज भिक्षुओं, विद्वानों और आध्यात्मिक साधकों का एक जीवंत समुदाय है। इस कालेज में ट्रेनिंग देते वक्त किसी भी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ी जाती।  वाले हर  सक्षम बन जाते हैं। 

अपने छात्रों और शिष्यों की सफलता का पता लगाने के लिए  प्रबंधन  सार्वजनिक प्रदर्शन भी आयोजित करता है।  मंत्रोच्चार समारोह, अनुष्ठान प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने वाले होते हैं। यहाँ से पढ़ने वाले छात्रों को भी अपना हुनर दिखने का मौका मिलता है। 

यह कालेज अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों का भी पूरी  गर्मजोशी के साथ स्वागत करता है। आध्यात्मिक साधक, पर्यटक और शोधकर्ता यहाँ आते ही रहते हैं। उन्हें बहुत प्रेम  कहा  जाता है। 

अंतरधार्मिक संवाद का भी यह संस्थान समर्थन करता है। अन्य आध्यात्मिक परंपराओं के साथ सहयोग, आपसी समझ को बढ़ावा देना इनके लिए  प्राथमिक स्थान पर रहता है। 

कालेज का स्थान और संक्षिप्त इतिहास यहाँ फिर दोहराया जा रहा है। मूल रूप से यह संस्थान ल्हासा, तिब्बत में स्थापित रहा लेकिन ग्युटो तांत्रिक कॉलेज 1959 में चीनी आक्रमण के बाद धर्मशाला, भारत में स्थानांतरित हो गया। उस समय  नज़ाकत यही थी। आज, कॉलेज परम पावन दलाई लामा के निवास के पास फल-फूल रहा है, जो तिब्बती बौद्ध समुदाय के लचीलेपन और दृढ़ संकल्प का प्रतीक भी है।  नज़दीक  गुज़रो तो सुगंधित तरंगे मन ओके मोह लेती हैं। विरासत और प्रभाव भी ी इन तरंगों  रहते हैं। 

ग्युटो तांत्रिक कॉलेज ने तिब्बती संस्कृति को संरक्षित किया।  बौद्ध सम्पदा को  संभाला। प्राचीन परंपराओं, अनुष्ठानों और कलात्मक प्रथाओं की भी रक्षा की।जलावतनी के जीवन में यह सब आसान नहीं होता लेकिन इन लोगों ने यह सब कर दिखाया। 

इसके साथ ही आध्यात्मिक विकास को विकसित और प्रेरित किया। आध्यात्मिक नेताओं, विद्वानों और चिकित्सकों की पीढ़ियों का भी यहाँ पोषण किया।

चीन जैसी महाशक्ति का तीव्र विरोध सामने होने के बावजूद इनके तन, मन और चेहरों की शांति कभी  कम नहीं हुई। तिब्बती समुदाय के इन बुद्धिजीवियों ने वैश्विक समझ को बढ़ावा देना भी  प्राथमिक महत्व पर समझा।  तिब्बती बौद्ध धर्म के ज्ञान, करुणा और शांति को दुनिया के साथ साझा करना। यह सब इनकी दूरअंदेशी का भी  परिचायक है। 

हम अन्य पोस्टों में भी इस संस्थान के संबंध में चर्चा करते रहेंगे।  

Sunday, July 14, 2024

कैसे मिलते हैं तंत्र मार्ग पर सही रास्ते और सच्चे गुरु

तंत्र की हकीकत--प्रमाणिकता और इतिहास....! 

लुधियाना: 13 जुलाई 2024: (के. के.सिंह//तंत्र स्क्रीन डेस्क)

तंत्र को मानने वालों की संख्या न मानने वालों से आज भी ज़्यादा है। केवल गांवों में ही नहीं बल्कि शहरों में भी। देश में ही नहीं विदेशों में भी।  बस अलग अलग जगहों पर इसका रंग रूप अलग हो सकता है। अफ्रीका के तंत्र की बहुत सी कहानियों पर तो बहुत दिलचस्प नावल भी लिखे गए थे। किसी भी इंसान का पुतला बना कर उसे सुईयां चुभो चुभो कर और मंत्र पढ़ कर उसे बिमार करना और धीरे धीरे मौत के घात उतार देना अफ्रीकी तंत्र में आम रहा है। हालांकि विज्ञानं और तर्कशील सोच वालों ने इसे कभी सच नहीं माना लेकिन फिर भी बहुत बड़ी संख्या में लोगों की इस में आस्था और मान्यता निरंतर बनी हुई है। 

अगर हम तंत्र की हकीकत--प्रमाणिकता और इतिहास पर चर्चा करें तो बहुत सी बातें इसके हक़ में भी मिलेंगी और विरोध में भी। जो लोग इसके हक़ में हैं वो बहुत सी बातें बताएंगे जो सबूत जैसी ही लगेंगी। इनमें पढ़े लिखे लोग भी अक्सर शामिल होते हैं। 

जो लोग तंत्र के हक़ में नहीं हैं वे भी बंटे हुए हैं। उनमें से अधिकतर लोग ऐसे हैं जो दबे दबे से स्वर में इसका विरोध करते हैं खुल कर नहीं। उनके स्वर में भय मिश्रित सुर को भी महसूस किया जा सकता है। उन्को खुद चाहे तंत्र प्रयोग का कोई भी अच्छा या बुरा अनुभव न रहा हो लेकिन किसे से सुना सुनाया कोई भयानक अनुभव ज़रूर याद रहता है और उसका भय उनकी आंखों में महसूस कीजै जा सकता है। कई लोग ऐसे में घबरा कर ऐसा भी कहते हैं हमें इस पर कुछ नहीं कहना। आपको पता नहीं यह चीज़ें बहुत भरी होती हैं। 

तंत्र की उत्पत्ति और इतिहास

तंत्र एक प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक परंपरा है, जिसकी जड़ें वैदिक काल में पाई जाती हैं। इसका उल्लेख वेदों, उपनिषदों, पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। तंत्र साधना का विकास मुख्यतः गुप्त काल (4वीं से 6वीं सदी) में हुआ, जब इसे बौद्ध, जैन और हिंदू परंपराओं में अपनाया गया। बहुत से समुदायों और संगठनों ने इसे धीरे धीरे पूरी तरह से अपना लिया। अब अलग अलग नामों से तंत्र हर क्षेत्र और सम्प्रदाय में मौजूद है। 

केवल इतना ही नहीं छोटे छोटे डेरों और मज़ारों पर भी अक्सर तंत्र के क्रियाकलाप किए जाते हैं। लोग झाड़ा करवाने वहां जाते हैं और उसके बाद वे पूरी तरह से ठीक होने का दावा भी करते हैं। ीा मामले में क्या क्या संभव है इसकी चर्चा भी हम अलग से किसी पोस्ट में करेंगे ही। 

तंत्र के सिद्धांत गहरी बातें करते हैं

तंत्र का मुख्य उद्देश्य आत्मा और परमात्मा के मिलन को प्राप्त करना है। यह यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाता है और मानता है कि संसार को त्यागने के बजाय, उसकी वास्तविकता को समझकर और उसमें रहकर आत्मा की उन्नति की जा सकती है। तंत्र साधना में मंत्र, यंत्र, और विभिन्न प्रकार की ध्यान विधियों का प्रयोग होता है। इन विधियों को समझना और करना सहज नहीं होता लेकिन फिर भी बहुत से लोग ऐसा करते हैं। 

तंत्र और योग का संबंध 

शरीर शुद्ध और निरोग न हो तो तंत्र की बात तो दूर साधारण मेडिटेशन भी संभव नहीं रहती। शरीर की निरोगता और उसका बलवान होना आवश्यक है। शरीर की शक्ति अर्जित करने के बाद ही मन को बलवान बनाना सिखाया जाता है। इसके बाद आत्मा की शक्ति को जगाने और उसे बढाने की विधियां आती हैं। वास्तव में तंत्र और योग का गहरा संबंध है। तंत्र साधना में ध्यान, प्राणायाम, मुद्रा और बंध जैसे योग के अंगों का उपयोग किया जाता है। तंत्र साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कुंडलिनी योग है, जिसमें शरीर में स्थित ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को जागृत किया जाता है। जो साधक इन रहस्यों को समझ जाता है उसके लिए तंत्र साधना के मर्म तक पहुंचना भी संभव हो जाता है। 

तंत्र साहित्य के क्षेत्र 

यूं तो तंत्र में बहुत सा साहित्य शामिल है जिसे गिना भी नहीं जा सकता। किसी बड़े पुस्तकालय या पुस्तक बिक्री केंद्र में जाएं तो तंत्र पर बहुत सी पुस्तकें और ग्रंथ वहां देखने को मिलेंगे। हर पुस्तक का कवर लुभावना होगा। तस्वीर रहसयमय और नाम अपने आप में बहुत कुछ समेटे होगा। लेकिन इसमें सच्चे तंत्र साहित्य को कोई सच्चा साधक या गंभीर पाठक ही समझ पाता है। 

तंत्र साहित्य में विभिन्न ग्रंथ शामिल हैं, जैसे कि शैव आगम। भगवान शिव के भक्तों में शैव आगम से सबंधित ये ग्रंथ बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। साधक भगवान शिव को सर्वोच्च देवता मानते हैं। ओशो ने भी तंत्र की जिन 112 विधियों का उल्लेख किया है वह बहुत अर्थपूर्ण है। तंत्र पर ओशो के प्रवचनों पर आधारित बहुत सी किताबें भी मार्कीट में हैं। ख़ास बात यह है कि इन 112 विधियों में से कोई न कोई ऐसी विधि सभी को मिल जाती है जो उसकी शरीरक सरंचना, मन की अवस्था, समय की अनुकूलिता और हर मामले में रास आ ही जाती है। 

इसी तरह शाक्त आगम का क्षेत्र भी बहुत अलग और विशाल है। इस क्षेत्र से जुड़े ग्रंथ देवी की पूजा पर आधारित होते हैं। इन ग्रंथों में तंत्र से सबंधित विधियां भी बहुत गहन होती हैं। इन विधियों के लिए अग्रसर होना हो तो साधक को बहुत तैयारी भी करनी पड़ती है। इन विधियों में देवी के रूप को बहुत विधि से ध्याना होता है। देवी को बुलाने और उसके आने पर जो जो करना होता है उसके पूरे नियम भी होते हैं। इसमें क्यूंकि मुख्यता देवी को मां के रूप में पूजा जाता है तो साधक के मन में यह बात पूरी मज़बूती से बनी रहती है कि मैं मां की संतान हूं इसलिए मां मुझे मेरी हर बुराई और पाप के साथ स्वीकार करेगी और मुझे क्षमा करेगी। इस भावना से साधक की आत्मिक प्रगति तेज़ी से होने लगती है। उसका शरीर भी शुद्ध और बलवान होने लगता है और मन भी मज़बूत बन जाता है। 

तंत्र साधना से जुड़े साहित्य और ग्रंथों में वैष्णव आगम  ग्रंथ  महत्वपूर्ण हैं। ये विष्णु और उनके अवतारों की पूजा पर केंद्रित हैं। वर्ष 1972  में आई फिल्म हरी दर्शन एक तरह से इन्हीं ग्रंथों पर आधारित थी। निर्देशक थे चंद्रकांत और मुख्य कलाकारों में थे दारा सिंह। फिल्म की कहानी प्रहलाद भक्त पर आधारित थी और गीत संगीत भी बेहद जादू भरा था। बालक प्रह्लाद की भूमिका निभाई थी सत्यजीत पुरी ने। 

आखिर में यह उल्लेख आवश्यक है कि तंत्र का आधुनिक संदर्भ बहुत प्रदूषित जैसा हो गया है। आजकल तंत्र को अक्सर गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, जिससे इसकी वास्तविकता और महत्व धुंधला हो जाता है। तंत्र की सच्ची साधना में नैतिकता, स्व-अनुशासन और गुरु-शिष्य परंपरा का विशेष महत्व है। इसलिए इस तरफ भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है। 

कुल मिलकर तंत्र एक समृद्ध और जटिल परंपरा है, जिसका इतिहास और प्रामाणिकता गहन अध्ययन और अनुभव से ही समझा जा सकता है। यह केवल एक साधना पद्धति नहीं है, बल्कि जीवन को देखने और समझने का एक व्यापक दृष्टिकोण है, जो व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है। इसकी सच्ची खोज केवल किताबों से कुछ वीडियो चैनल देख कर नहीं हो सकती। अंतर्मन में तंत्र के लिए सवयं की प्यास जागने पर ही रास्ते मिलते हैं और गुरु भी। 

Tuesday, April 16, 2024

तंत्र की हकीकत//प्रमाणिकता और इतिहास

Monday 15th April 2024 at 09:45 AM 

तंत्र का सच तंत्र में आ कर ही समझना सही होगा


हरिद्वार
: 16 अप्रैल 2024: (तंत्र स्क्रीन डेस्क)::

तंत्र की हकीकत कैसी है, कितनी है यह लगातार शोध का विषय रहा है। इसकी प्रमाणिकता को लेकर भी दलीलें मिलती हैं और इसके इतिहास  भी। तंत्र की कथाएं और गाथाएं सदियों पुरानी हैं। तंत्र की उत्पत्ति और इतिहास को लेकर बहुत कुछ कहा, सुना और लिखा जा चुका है। 

लेकन यह एक सत्य है कि तंत्र एक प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक परंपरा है, जिसकी जड़ें वैदिक काल में पाई जाती हैं। इसका उल्लेख वेदों, उपनिषदों, पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। तंत्र साधना का विकास मुख्यतः गुप्त काल (4वीं से 6वीं सदी) में हुआ, जब इसे बौद्ध, जैन और हिंदू परंपराओं में अपनाया गया।बौद्ध, जैन और हिन्दू परंपराओं में तंत्र की बहुत जहां चर्चा मिलती है। इस संबंध में मंदिर जैसी विशाल इमारतें भी मिलती हैं। इन्हीं में एक है 64  जो कई अलग अलग जगहों पर बना हुआ है। इसके महत्व और मकसद को लेकर भी बहुत कुछ कहा गया है। तंत्र में आस्था रखने वाले इसे तंत्र की यूनिवर्सिटी कहते भी हैं और मानते भी हैं। कहा जाता है कि संसद के पुराने भवन का डिज़ाईन और आकार इसी मंदिर से प्रेरणा पा कर रचा गया था।  

अब तंत्र के सिद्धांत की बात करें तो वह बहुत उंच और पवित्र है अब यह बात अलग अलग है बहुत से लोगों ने इसे अपने अपने ढंग से लेकर स्वार्थ सिद्धि करनी शुरू कर दी। वास्तव में तंत्र का मुख्य उद्देश्य आत्मा और परमात्मा के मिलन को प्राप्त करना है। यह यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाता है और मानता है कि संसार को त्यागने के बजाय, उसकी वास्तविकता को समझकर और उसमें रहकर आत्मा की उन्नति की जा सकती है। तंत्र साधना में मंत्र, यंत्र, और विभिन्न प्रकार की ध्यान विधियों का प्रयोग होता है। सच्चा तांत्रिक हर मिशन में कामयाब होता है बेशक वह कितना ही कठिन मकसद क्यूं न हो। 

तंत्र और योग का भी बहुत गहरा संबंध है। योग साधना से शरीर की मुश्किलें और व्याधियां दूर होती हैं जिससे तंत्र में सहायता मिलती है।  तंत्र का मिशन जल्दी कामयाब होता है। सिद्धि जल्दी मिलती है। समाधी भी जल्दी लगती है और भगवान से गहन ध्यान जल्दी जुड़ता है। भूख, प्यास, गर्मी सर्दी का अहसास और दुःख-सुख की भावना सब नियंत्रित हो जाते हैं। कई कारणों से तंत्र और योग का गहरा संबंध है। तंत्र साधना में ध्यान, प्राणायाम, मुद्रा और बंध जैसे योग के अंगों का उपयोग किया जाता है। तंत्र साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कुंडलिनी योग है, जिसमें शरीर में स्थित ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को जागृत किया जाता है।

तंत्र साधना के इस क्षेत्र में आने से इससे जुड़ा साहित्य पढ़ना लाभदायक रहता है। इस साहित्य का अध्यन मार्ग दिखने में सहायक साबित होता है। मन की शंकाओं का भी निवारण करता है। इस तरह से तंत्र साहित्य के अधिक से अधिक ग्रंथ पढ़ने फायदेमंद रहते हैं। गौरतलब है कि तंत्र साहित्य में विभिन्न ग्रंथ शामिल हैं, जैसे कि:

शैव आगम बहुत ही महत्वपूर्ण गिना गया है। ये ग्रंथ शिव को सर्वोच्च देवता मानते हैं।

इसी तरह शाक्त आगम का भी बहुत महत्व है। ये ग्रंथ देवी की पूजा पर आधारित हैं।

वैष्णव आगम में भी बहुत से रहस्य उजागर किए गए हैं। ये विष्णु और उनके अवतारों की पूजा पर केंद्रित हैं।

तंत्र की प्रामाणिकता को लेकर अभी भी लोग अक्सर बहस में पड़ जाते हैं। तंत्र की प्रामाणिकता को लेकर कई मतभेद हैं। कुछ विद्वान इसे वैदिक परंपरा का ही एक अंग मानते हैं, जबकि कुछ इसे स्वतंत्र परंपरा के रूप में देखते हैं। तंत्र साधना का वैज्ञानिक आधार भी है, जिसमें ध्यान और प्राणायाम की विधियाँ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती हैं। फिर भी यह एक हकीकत है कि बहुत पढ़े लिखे और उच्च पदों पर नियुक्त लोग तंत्र में गहरी आस्था रखते हैं। तांत्रिकों के पास सलाह लेने के लिए जाने वालों में  विद्वान भी शामिल रहते हैं। 

इस तरह तंत्र का आधुनिक संदर्भ भी बहुत प्रभावशाली है। अब यह बात अलग है कि आजकल तंत्र को अक्सर गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, जिससे इसकी वास्तविकता और महत्व धुंधला हो जाता है। तंत्र की सच्ची साधना में नैतिकता, स्व-अनुशासन और गुरु-शिष्य परंपरा का विशेष महत्व है। चादर या चटाई बिछा कर  बिछा कर सड़क पर बैठने वालों ने ज्योतिष और तंत्र दोनों को सस्ता बना दिया है। लोगों की नीर में यह सब अब सड़क छाप बन गया है। 

लेकिन सच में निष्कर्ष यही है कि तंत्र एक समृद्ध और जटिल परंपरा है, जिसका इतिहास और प्रामाणिकता गहन अध्ययन और अनुभव से ही समझा जा सकता है। यह केवल एक साधना पद्धति नहीं है, बल्कि जीवन को देखने और समझने का एक व्यापक दृष्टिकोण है, जो व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।

तंत्र का सच तंत्र में आ कर ही समझना सही होगा। सुनी सुनाई या पढ़ी पढाई बातों से भी वह बात नहीं बनती। सच्च मार्गदर्शक या गुरु बहुत किस्मत से   देखरेख में तंत्र साधना करना ठीक रहता है वरना यह सब खतरनाक भी साबित हो सकता है।  

Friday, March 15, 2024

महिला तांत्रिक बहुत ज़िम्मेदारी से सहेज रही हैं तंत्र की गुप्त विद्या

बहुत सख्त किस्म का अनुशासन होता है तंत्र के लाइफ स्टाईल में 


हरिद्वार
: 15 मार्च 2024: (मीडिया लिंक//तंत्र स्क्रीन डेस्क)::

भारत में महिला तांत्रिकों और महिला अघोरीयों  का जीवन कैसा है और उनकी शक्ति या सिद्धि कैसी है इसे जानने की जिज्ञासा मीडिया से जुड़े हम सभी लोगों को भी थी लेकिन यह सब इतना आसान भी तो नहीं था। बिना उनकी आज्ञा के उनके शिविर, आश्रम या रिहायशी ठिकानों के नीदीक जाना न तो उचित होता है न ही खतरों से खाली। उन्हें किसी भी छोटी सी बात पर नाराज़ करना कई मुश्किलें खड़ी कर सकता है। 

ज़िन्दगी का इत्तफाक कहो या फिर किस्मत की बातें कि मन की इच्छाएँ अगर शिद्दत से भरी हुई हों तो वे पूर्ण भी हो जाती हैं .इसी तरह रूटीन के जीवन में भी कभी कभार कहीं न कहीं किसी न किसी महिला साधवी से भेंट हो भी जाती रही लेकिन वह बहुत संक्षिप्त सी ही रहती। प्रणाम और नमस्कार से ज़्यादा कभी कभी उनकी तप सथली का कुछ प्रसाद भी मिल जाता। उनके इस प्रसाद में कई बार ताज़े फल भी शामिल होता कई बार सूखे फल भी। कई बार जीवन के कुछ गुर भी लेकिन मीडिया मकसद से तन्त्र पर वार्ता या तो शुरू ही न हो पाती या फिर अधूरी छूट जाती। 

इस तरह की भेंट के दौरान साधना की गुप्त बातों की गहन चर्चा तो किसी भी तरह से शायद सम्भव भी नहीं थी। बिना कोई ख़ास चर्चा वाली ऐसी भेंट हरिद्वार के जंगलों में भी हुई, दिल्ली में भी और पंजाब में कुछ स्थानों पर भी। इनका रोमांच और रहस्य बहुत यादगारी भी रहा। 

इन मुलाकातों के दौरान विश्व हिन्दु परिषद के उस समय के सक्रिय नेता मोहन उपाध्याय जी भी साथ रहते रहे। उनकी पहल और मार्गदर्शन से ही यह सम्भव होता रहा। मोहन जी की असमय मृत्यु से यह सारा मिशन और प्रोजेक्ट भी अधर में ही छूट गया। बस इतना ही याद रहा कि दिव्यता की मूर्ती लगने वाली इन महिलाओं का रहन सहन पूरी गहनता से अंतर्मन तक प्रभावित करता रहा। उनकी बातें बहुत देर तक मानसिक जगत में गूंजती भी रहती।  उनके पास बेउठने एक ऊर्जा का अहसास करवाता रहा। 

भारत के हृदय में, जहाँ प्राचीन परंपराएँ और मान्यताएँ बहुत ही गहरी हैं, वहाँ महिलाओं का यह एक छोटा, गुप्त समुदाय लम्बे समय से मौजूद है। हालांकि वे आपकी औसत गृहिणियां या माताएं तो नहीं होती हैं, लेकिन उनके पास एक ऐसी शक्ति ज़रूर है जिसके बारे में अधिकांश कई बार पुरुष साधक भी केवल सपना ही देख सकते हैं। उनके सामीप्य से मुँह से जय माता दी निकलता या फिर कोई और आध्यात्मिक सम्बोधन तो वह हमारे अतीत और रूटीन से बहुत ही अलग होता। तंत्र की उन महिला साधिकाओं से बात करते हुए उनमें से मातृ शक्ति का स्वरूप कई बार पूरी तरह से उभर कर सामने भी आता है। जहां वात्सल्य का अहसास भी होता। यह सब एक आशीर्वाद जैसा अहसास भी होता है। ऐसा बहुत कुछ अनुभव होने लगता जो अलौकिक जैसा होता। तंत्र में महिला तांत्रिकों के योगदान पर तंत्र स्क्रीन की यह विशेष प्रस्तुति उन्हीं अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने का प्रयास है। 

तंत्र के कठिन रास्तों पर निकलीं इन महिलाओं को अक्सर महिला तांत्रिक और महिला अघोरी के नाम से भी जाना जाता है। उनका पूरा जीवन और उनका पूरा लाइफ स्टाईल तंत्र और अघोर की साधना के लिए समर्पित हुआ महसूस होता है।

तंत्र और अघोर पथ ये दो ऐसे अलग अलग और गूढ़ आध्यात्मिक मार्ग हैं जो समाज के मानदंडों और पूर्व कल्पित धारणाओं को ज़ोरदार चुनौती भी देते हैं। ईश्वरीय सत्ता के साथ सीधा राब्ता उनका लक्ष्य रहता है।  इसी सर्वोच्च सत्ता के साथ उनका तारतम्य जुड़ा रहता है। वे अकेले में जब बात करती हैं तो लगता है सामने कोई नहीं है लेकिन उनको इसका पूरा सतर्क अहसास रहता है कि वे कहाँ हैं और किस्से बात कर रही हैं। हमारे पास पहुंचने का भी उन्होंने नोटिस लिया और साथ ही हमारे मन की एक दो बातें भी उन्होंने उसी सर्वोच्च सत्ता के सामने उजागर कर दी और कहा लो अब यह भी यहाँ पहुँच गया आपके दरबार में इसका संकट दूर कर दो। इसके साथ ही हमें यह भी बताया कि जीवन की यह समस्या अब इस दिन या तारीख से समाप्त समझो। ऐसी बहुत सी बातें होती रहीं जिनका पता केवल हमें था और जिनकी गहन चिंता भी केवल हमें थी।   

दिलचस्प बात है कि अपने पुरुष समकक्षों के विपरीत, जो अक्सर अधिक ध्यान भी आकर्षित करते हैं, ये महिलाएं अपनी प्रथाओं और ज्ञान को दुनिया की नज़रों से छिपाकर रखने में अधिक कामयाब रही हैं। वे आधुनिक जीवन की हलचल से दूर सुदूर गांवों और आश्रमों में रहती हैं। उनकी साधना पद्धति भी अक्सर पूरी तरह से गुप्त होती है। उनके दिन गहन आध्यात्मिक अभ्यास, ध्यान और अध्ययन में व्यतीत होते हैं। उन्हें कम उम्र में ही तंत्र और अघोर के रहस्यों की शिक्षा दी जाती है, अक्सर उनकी मां या दादी द्वारा, जिन्हें पीढ़ियों से यह ज्ञान विरासत में मिला है। इस साधना की चमक उनकी आँखों में देखी जा सकती है और उनके चेहरों पर भी। उनकी बॉडी  लैंग्वेज साथ साथ इस बात का अहसास करवाती रहती है कि उनके शब्दों, बोलों, उनकी उंगलियों और आशीर्वाद की मुद्रा में उठे हाथों से कोई न कोई शक्ति तो प्रवाहित हो ही रही है। उनकी रहस्य्मय मुस्कान और गुस्सा आने पर आँखों में अपनेपन वाली वो थोड़ी सी घूरने वाली अनुभूति भी बिना बोले बहुत कुछ बताती कि किस किस बात से दूर रहना है। 

आम लोग उन्हें भयानक स्वरूप वाली या ऐसा कुछ भी समझें या कहें लेकिन महिला तांत्रिकों और महिला अघोरियों का स्थानीय आबादी के लोग पूरी तरह से सम्मान भी करते हैं। इस प्रेम और सम्मान के साथ साथ ये लोग उनसे एक तरह से डरते भी हैं। यह ख़ामोशी भरा मूक भय होता है। बिना किसी आवाज़ के अपना असर दिखाता  है। आसपास रहने वाले लोग उन्हें अपना रक्षक ही समझते हैं। ज़िन्दगी की मुश्किलों और संकटों से घबराए हुए बहुत से लोग दूर दराज से भी उनके पास आ कर सिर झुकाते हैं। तंत्र और अध्यात्म में बहुत से लोग बेहद पढ़े लिखे भी हैं। दुनिया की पढाई समाप्त करने के बाद उन्हें लगा इस पढ़ाई में कुछ नहीं रखा अब इस क्षेत्र में कुछ अभ्यास ज़रूरी हैं। 

तंत्र की दुनिया के ज्ञाता इस संबंध में जो बताते हैं वह कई बार हैरान कर देता है। ऐसा कहा जाता है कि तंत्र के इन साधकों के पास तत्वों, आत्माओं और यहाँ तक कि मृत्यु पर विजय जैसी बहुत ही कठिन और अत्यधिक सिद्धि और शक्ति भी होती है। वे अपनी क्षमताओं का उपयोग बीमारों को ठीक करने, जादू-टोना करने और खोई हुई आत्माओं का मार्गदर्शन करने के लिए करते हैं। हालाँकि, उनकी शक्ति की भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है।  उनकी साधना और भी कठिन हो जाती है। इस शक्ति का अर्जित करना भी आसान कहां होता है। 

उन्हें एक सख्त आचार संहिता बनाए रखनी होती है। इस अनुशासन का वे सभी लोग पालन भी करते हैं। साधना  के कई पड़ावों में यौन सुख और यहां तक कि दूसरों को छूने से भी बचना होता है। वे कठोर जीवन जीते हैं, अक्सर साधना मार्ग के प्रति अपनी भक्ति के प्रतीक के रूप में केवल मृतकों की राख पहनते हैं। हर सुख सुविधा को पलक झपकते ही अपने पास उपलब्ध करवा लेने की इस क्षमता के बावजूद यह तांत्रिक अघोरी महिलाएं बेहद कठिन जीवन जीती हैं वो भी बिना किसी शिकायत के। महिला तांत्रिक बहुत ज़िम्मेदारी से सहेज कर रख रही हैं तंत्र की गुप्त विद्या को। बेहद कठिन और लम्बे उपवास इनकी शरीरक और मानसिक क्षमता को मज़बूत बना देते हैं। महिला तांत्रिक बहुत ज़िम्मेदारी से सहेज कर रख रही हैं तंत्र की गुप्त विद्या को

अपने एकांतवास के बावजूद, ये महिलाएं दुनिया से अलग-थलग नहीं रहती हैं। वे अक्सर जरूरतमंद लोगों को अपनी सेवाएं देने के लिए दूसरे गांवों और शहरों की यात्रा भी करती हैं। वे आध्यात्मिक और सांसारिक लोगों के बीच मध्यस्थ के रूप में भी कार्य करते हैं। आधुनिक जीवन की हलचल से दूर कहीं बस्ती है इन  महिला तांत्रिकों की दुनिया जहां एक अनाम सा आकर्षण भी पैदा हो जाता है। वहां की हवा में कोई अलौकिक सी सुगंध भी महसूस होने लगती है। 

इसके साथ ही यह तांत्रिक लोग उन लोगों के लिए मार्गदर्शक और संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं जो उनकी सलाह चाहते हैं। वे सभाओं और समारोहों की मेजबानी करने के लिए भी जाने जाते हैं जहां वे एक-दूसरे के साथ अपना ज्ञान और बुद्धिमत्ता साझा करते हैं। इस सबके बावजूद उनकी साधना और जीवन शैली तकरीबन गुप्त ही रहती है। ऐसी बहुत सी बातें हम अन्य लेखों में आपके सामने लाने का प्रयास करते रहेंगे। 

Thursday, June 15, 2023

अघोरी बाबाओं की कृपा भी कमाल की होती है

लेकिन उनके क्रोध से बचना ही बुद्धिमता होती है 

अघोरी बाबाओं की प्रतीकात्मक तस्वीरें 

लुधियाना: 15 जून 2023: (रेक्टर कथूरिया//मीडिया लिंक रविंद्र//तंत्र स्क्रीन डेस्क)::

एक थे जगजीत सिंह एडवोकेट। पेशे से वकील थे। वही वकालत जिसमें कदम कदम झूठ बोलना पड़ता है।  झूठ के बिना शायद इस प्रोफेशन का चलना ही मुश्किल हो जाए। इस हकीकत के बावजूद एडवोकेट जगजीत सिंह ने झूठ से ज़िंदगी के हर कदम पर एक दूरी बना रखी थी। नफा हो या नुकसान वह इस दुरी को हमेशां कायम रखते। यह सब एक चमत्कार जैसा ही तो था लेकिन सच्चाई की गरिमा और चमक केवल उनके चेहरे पर ही नहीं बल्कि पूरी शख्सियत में हुआ करती थी। उनके  हर कदम में जादूभरा असर हुआ करता था। उनसे हमारे परिवार का राब्ता उनकी लेखनी के कारण था। वह लोकप्रिय समाचार पत्र पंजाब केसरी और उन्हीं के पंजाबी  प्रकाशन जग बाणी में नियमित तौर पर एक स्तम्भ लिखा करते थे। उनके इस कालम में अक्सर अध्यात्म की दुनिया से  बातें होतीं। साधना की चर्चा रहती और जिन साधु बाबाओं से कभी उनकी भेंट होती उनकी चर्चा रहती। 

वह बताते थे एक बार एक अघोरी बाबा ने एक जगह आसान जमा लिया। इतने में द्वार खुला और एक महिला बाहर आई।अघोरी बाबा ने भोजन की इच्छा व्यक्त की। उस महिला ने थोड़ी देर पहली ही बना कर रखी दो रोटियां बाबा को सम्मान से दे दी। 

भोजन करके उसे आशीर्वाद दे ही रहे थे कि पास में बैठा उनका कुत्ता उनकी तरफ ही मुंह कर के भौंकने लगा। ऐसे लगता था शायद उन्हें कुछ कह रहा हो। बाबा ने आंखें बंद की और कुत्ते की तरफ देखते हुए उसे बोले अच्छा अच्छा दे देता हूं। इतना कह कर अपनी पोटली में से एक बेशकीमती लाल निकाल कर उस महिला को दे दिया। साथ ही कहा इसे अपने बेटे के गले में रखना उसकी सुरक्षा होती रहेगी। 

इतने में ही घर में से फोन की घंटी बजी तो वह महिला क्षमा मांग कर घर के अंदर गई लेकिन साथ ही कह कर गई कि वह फोन सुन कर अभी आती है। अंदर जा कर फोन सुना तो सन्न  रह गई। फोन पर एक बुरी खबर थी। जिस जहाज़ से उसके दोनों बेटे घर लौट रहे थे वह हादसे का शिकार हो गया था। इस हादसे में उसका एक बेटा मर गया  बताया गया लेकिन एक बेटे को बचा लिया गया। फोन सुन कर उसे बाबा  समझ आई। 

वह रोते रोते बाहर आई तो बाबा का कुत्ता फिर से भौंकने लगा। इस बार कुछ ज़्यादा ऊंची आवाज़ में भौंक रहा था। बाबा ने फिर उसे शांत करने के लिए हाथ खड़ा किया और कहा अच्छा अच्छा दूसरा भी दे देता हूं। यह कह कर बाबा ने अपने कंधे से उतार कर रखे झोले में से फिर वही पहले वाली पोटली निकाली और और दूसरा लाल निकाल कर भी दे दिया। साथ ही बोले भैरव बाबा नाराज़ हो रहे हैं और कह रहे हैं दूसरा लाल भी दे दो। ले अब तेरे दूसरे लाल को भी कुछ नहीं होगा। इस पर महिला ने रोते हुई फोन पर सुनी सारी खबर बाबा को बताई। बाबा फिर मुस्कराते हुए बोले चिंता मत कर तेरे दुसरे लाल को भी कुछ नहीं होगा। दोनों सुरक्षित तेरे पास रहेंगे। 

इतने में फिर से फोन की घंटी बजी। उन दिनों मोबाईल नहीं हुआ करते थे। महिला फोन सुनने के लिए भाग कर घर कर अंदर गई। इस बार फोन था आपके दोनों बेटे सुरक्षित हैं। पहले हमें बेहोशी के कारण धोखा हुआ था। महिला की आँखों से आंसुओं की धरा नेह निकली। वह आँखें पौंछती हुई बाहर आई और बाबा के चरणों पर गिर पड़ी। बाबा ने उन्हें झोले से फिर कुछ प्रसाद दिया और कहना अपने ाप्ति और दोनों बेटों को भी खिलाना सब ठीक रहेगा। इसके साथ ही आशीर्वाद देते हुए उठ खड़े हुए। इस दर से मिली वो दो रोटियां तो शायद बहाना थीं। अघोरी बाबा उस महिला के दोनों बेटों को जीवनदान देने आए थे। 

क्या होते हैं अघोर पंथ के गहन रहस्य? कौन होते हैं अघोरी? कैसा होता है इनका जीवन? इसकी चर्चा किसी अलग पोस्ट में जल्दी ही की जाएगी।

निरंतर सामाजिक चेतना और जनहित ब्लॉग मीडिया में योगदान दें। हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने या कभी-कभी इस शुभ कार्य के लिए आप जो भी राशि खर्च कर सकते हैं, उसे अवश्य ही खर्च करना चाहिए। आप इसे नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आसानी से कर सकते हैं।

Tuesday, June 13, 2023

तंत्र की गहन शिक्षा और साधना ही दे सकती है सिद्धियों की कृपा

Tuesday 13th June 2023 at 05:45 PM

 उचित मार्गदर्शन के बिना न रखें इन रास्तों पर एक भी कदम 

लुधियाना: 13 जून 2023: (तंत्र स्क्रीन डेस्क):: 

*सुयोग्य गुरु का मार्गदर्शन ही दे सकता है पूरा लाभ 

*क्या तंत्र साधना से आयु और स्वास्थ्य के लिए हो सकता है लाभ?

*क्या इस रह पर चल कर मिल सकती है दौलत और शोहरत?

*अगर मन में सच्ची प्यास है तो सच्चा गुरु स्वयं आपको खोज लेगा!

योग, तंत्र और सिद्धि हमारे समय से भी पहले से उपयोग में हैं। यह विज्ञान की एक अलौकिक सी शाखा है जो अधिकतर लोग नहीं जानते हैं और जिसके बारे में शायद बहुत से लोगों की भ्रमित धारणाएं होती हैं। तंत्र और सिद्धि के इस्तेमाल से लोग अपनी आयु और स्वास्थ्य को स्थिर और स्वस्थ रखते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम सही तरीके से तंत्र और सिद्धियों का इस्तेमाल करना सीखेंगे जो आपके जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। इस ब्लॉग पोस्ट के जरिए हम आपको तंत्र और सिद्धियों के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे जो आपकी आयु और स्वास्थ्य की देखभाल करने में मदद करेगी।

तंत्र और सिद्धि क्या होते हैं? तंत्र साधना से शक्ति भी मिलती है और सिद्धि भी लेकिन रास्ता कम कठिन नहीं होता। तंत्र की साधना के लिए पहले स्वयं में शरीरक बल की भी आवश्कता पड़ती है, बुद्धि बल की भी और मनोबल की भी। तब कहीं जा कर आत्मिक बल सक्रिय होता है और साधना में सफलता मिलने के आसार बनने लगते हैं।  आम और कमज़ोर इन्सान तो आरम्भिक दौर में ही डर कर इस मार्ग पर बढना छोड़ देता है। इस मार्ग पर निरंतर चलने के लिए शक्तियों के भंडार अर्जित करने पड़ते हैं। तंत्र साधना अपने घर में हो, किसी सुनसान जगह पर बने किसी मन्दिर में या फिर श्मशान में-हर जगह पर कदम कदम पर परीक्षा जैसी स्थितियां बनती हैं। तंत्र साधनामें अगर साधक बुरी तरह डर जाए तो हार्ट अटैक जैसी बहुत सी समस्याएं पैदा होने के खतरा बना रहता है इस लिए अपने शरीर की रक्षा के उपाय सबसे पहले कर लिए जाने चाहियें।  

गौरतलब है कि तंत्र और सिद्धि एक वैज्ञानिक प्रक्रिया ही है जो अधिकतर भारतीय धर्म और तंत्र के अनुयायियों द्वारा उपयोग की जाती है। अब यह बात अलग है कि इसका अधिकतर विज्ञान धीरे धीरे लुप्त होता चला गया। तंत्र की ये सभी प्रक्रियाएं धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती रहीं हैं और विभिन्न साधनों व साधकों द्वारा की जाती हैं जो स्वयं में अद्भुत शक्तियों को लाया करते थे। 

तंत्र और सिद्धि का उपयोग व्यक्तिगत उन्नति और शारीरिक आरोग्य के लिए किया जाता है। तन,  आत्मा  शक्तियां बढ़ाना बहुत पहले बहुत ज़रूरी समझा जाता था। इसके अलावा, इन प्रक्रियाओं का उपयोग तनाव से मुक्ति, शांति और अधिक समझदार जीवन जीने में मदद मिलती है। इन प्रक्रियाओं का उपयोग प्राकृतिक तरीकों से अस्थिर मनोवैज्ञानिक समस्याओं से निपटने में भी किया जाता है। 

अब उल्लू के शरीर का कौन सा भाग कब और कहां काम आता है इसका पता तो बाद में किया जा सकता है लेकिन उल्लूक सिद्धि से भी पहले और अन्य सबसे पहले अपने स्वयं के शरीर का हर रहस्य पता लगाना ज़रुरी होता है। मानव शरीर की सरंचना इतनी दुर्लभ है कि विकसित विज्ञान आज भी इसके सामने चकरा जाता है। शरीर के बहुत से रहस्य ऐसे हैं जिनकी सही जानकारी अगर पता चल जाए तो इसे साधना सहज हो जाता है। शरीर और मन को साधने की प्रक्रिया के दौरान ही सिद्धियों जैसा आभास होने लगता है। सर्दी, गर्मी और मौसम की मार बेअसर होने लगती है। बातों में मधुरता के साथ साथ एक दैवी पभाव भी आ जाता है जिससे सद्ध्क की हर बात हर जगह मानी जाने लगती है।

इस शुरूआती साधना के कुछ पड़ाव पूरे करने के बाद ही साधना की कठिनाई और स्तर भी बढ़ने लगते हैं। तन्त्र और सिद्धियों के विभिन्न उपयोग विभिन्न तरह के अनुभव देने लगते हैं। बौद्ध तंत्र और जैन तंत्र साथ मुस्लिम तंत्र भी लोकप्रिय रहा है। 

तंत्र और सिद्धियों का सही उपयोग चिरआयु रहने और पूरी तरह से स्वस्थ रहने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इन तंत्रों और सिद्धियों के विभिन्न उपयोग हैं जो आप अपने जीवन में शामिल कर सकते हैं। एक बहुत सामान्य उपयोग है तंत्रों और सिद्धियों का उपयोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए। आप अपनी चिंताओं को कम करने के लिए तंत्रों और सिद्धियों का उपयोग कर सकते हैं। इन तंत्रों और सिद्धियों का उपयोग आपको एक अधिक सकारात्मक जीवन जीने में मदद कर सकता है। आप तंत्रों और सिद्धियों का उपयोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ संयोजित कर सकते हैं। इन तंत्रों को उपयोग करने की एक और विशेषता है कि आप इन्हें अपने घर में भी उपयोग कर सकते हैं। आप इन तंत्रों का उपयोग घर की सफाई, कुछ विशेष उद्योगों में सफलता, स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए कर सकते हैं। इन तंत्रों का उपयोग आपके जीवन को आसान बना सकता है। आप इन तंत्रों का उपयोग अपनी जरूरत के अनुसार कर सकते हैं। आप अपने दुखों को कम करने के लिए सिद्धियों का उपयोग कर सकते हैं। सिद्धियों का उपयोग आपको बड़े सपने देखने में मदद कर सकता है। तंत्रों और सिद्धियों का उपयोग करने से आप खुशहाल और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। इसका अनुभव थोड़ी सी साधना के बाद ही होने लगता है। निरंतर प्रयास की अपने आप में ही काफी महत्ता होती है। 

इस तरह तंत्र और सिद्धियों के लाभ आयु और स्वास्थ्य के लिए लोकप्रिय भी रहे हैं। ज्योतिष, वास्तु, और तंत्र-मंत्र सिद्धि आदि को दुनिया भर में लोग बहुत शक्तिशाली मानते हैं। वे अपने जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए इनका सही इस्तेमाल करते हैं। तंत्र और सिद्धियों के इस्तेमाल से आप अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं और अपनी आयु और स्वास्थ्य को भी सुधार सकते हैं। तंत्र और सिद्धियों का सही इस्तेमाल करने से आप अपने जीवन को और बेहतर बना सकते हैं। बहुत से लोग तंत्र और सिद्धियों का इस्तेमाल सिर्फ अपनी समस्याओं को हल करने के लिए करते हैं। लेकिन इनके इस्तेमाल से आप अपनी आयु और स्वास्थ्य को भी सुधार सकते हैं। तंत्र और सिद्धियों की मदद से आप अपने जीवन में एक नए उलझन से निपट सकते हैं और अपनी स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं। तंत्र और सिद्धियों के इस्तेमाल करने से आप अपनी आयु को भी बढ़ा सकते हैं और अपने जीवन की दिशा को निर्देशित कर सकते हैं। इसलिए, तंत्र और सिद्धियों का सही इस्तेमाल करने से आप अपनी आयु, स्वास्थ्य, और जीवन को बेहतर बना सकते हैं। अपनी मुसीबतों को काम कर सकते हैं और अपनी क्षमताओं को बढ़ा  सकते हैं छोटी मोती सीढ़ी सरल साधनाओं से भी बहुत सी सिद्धियां मिलने लगती हैं। 

इस ब्लॉग पोस्ट में, हमने तंत्र और सिद्धियों के सही इस्तेमाल के बारे में जाना। हम जानते हैं कि तंत्र और सिद्धियों का सही इस्तेमाल हमारे आयु और स्वास्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है। इनका सही इस्तेमाल हमें आर्थिक समृद्धि, शांति, सम्पूर्णता और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है। अतः, हमें तंत्र और सिद्धियों का सही इस्तेमाल करना चाहिए। अगर हम तंत्र और सिद्धियों को सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं तो हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। इनका सही इस्तेमाल हमें आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाता है। यह हमें आत्मविश्वास देता है कि हम अपने जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हैं। इसलिए, यदि हम तंत्र और सिद्धियों का सही इस्तेमाल करना सीखते हैं तो हम अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। सभी मज़हबों में दैनिक पूजापाठ से जुड़ीं बातें तंत्र का ही बस उतना सा मामूली हिस्सा हैं जो आम जनमानस के लिए ज़रूरी समझा गया। बाकी ज्ञान को छुपा लिया गया था। तंत्र की शक्ति और सिद्धियां सुयोग्य पात्र को ही मिल सकें इसका पूरा ध्यान रखा जाता था। कुछ धार्मिक संगत आज के युग में इस तरह की साधना करवाते हैं लेकिन उनके अपने विशेष नियम भी हैं। उन नियमों का पालन आवश्यक है। 

(AIGWC//RK//Karthika//WhatsApp)