Monday, November 29, 2021

कोरोना अंतराल के बाद भैरव बाबा को चढ़ी 56 प्रकार की शराब

 जानिए इसके पीछे का रहस्य--कहाँ जाती है अर्पित की गई शराब 

उज्जैन में है विश्व प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर जहां दो दिवसीय भैरव अष्टमी पर्व की परम्परिक शुरुआत हुई।  कोरोना की वजह से लम्बे अंतराल के बाद रात 9 बजे की विशेष आरती भी बहुत ही आस्था और सम्मान से भव्य माहौल में हुई। आरती के बाद देर रात 12 बजे भगवान काल भैरव का विशेष पूजन हुआ। इस पूजन का विशेष महत्व है और इसमें किस्मत वाले ही शामिल हो पते हैं।  इसके बाद भैरव बाबा को 56 प्रकार की शराब का भोग भी लगाया गया.इसके साथ ही फिर आज 111 तरह के पकवानों का भंडारा लगाने की तैयारियां शुरू हुईं। 

बता दें कि मन्दिर को आकर्षक विद्युत रोशनी, फूलों व बलून से सजाया गया है।  इसके बाद 28 नवंबर शाम 4 बजे बाबा भैरव नगर भ्रमण पर भी निकले। इसमें भेरवगढ़ जेल का प्रशासनिक अमला बाबा को सलामी भी देता है। गौरतलब है कि कल भैरव भगवान शिव के सेनापति हैं। लोग अपने दुश्मनों से भय मुक्त होने के लिए भी इन्हीं की पूजा करते हैं। 

धर्म. पूजन, अधयात्म और तंत्र के क्षेत्र में शिव के रूप में ही गिने जाते हैं बाबा भैरव और तंत्र में तो इनकी पूजा खास महत्व रखती है। औघड़ भी इन्हीं से आशीर्वाद पाते हैं। कोर्ट कचहरी और मुकदमों में विजय के लिए किया जाता है इन्हीं का ध्यान। कदम कदम पर जब जंग की स्थितयां बनती हैं और सब कुछ अपने विपरीत होने लगता है तो भैरव बाबा उस नाज़ुक समय में भी रास्ता दिखाते हैं।  

जब कोई रास्ता नहीं सूझता उस समय भैरव बाबा का नाम ही तसल्ली देने लगता है। भैरव अर्थात भय से रक्षा करने वाला, इन्हें शिव का ही रूप माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार काल भैरव भगवान शिव का ही साहसिक और युवा रूप हैं।  जिन्हें रुद्रावतार भी कहते हैं -जो शत्रुओं और संकट से मुक्ति दिलाते हैं। उनकी कृपा हो तो कोर्ट-कचहरी के चक्करों से जल्दी छुटकारा मिल जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हर महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है।  इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है। उज्जैन में विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है।  जहां पर कालभैरव भगवान पर मदिरा का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। यूं कई अन्य जगहों पर भी कुछ मंदिर हैं जहाँ शराब चढ़ाई जाती है। 

जहां तक उज्जैन की बात है यहाँ लोग दूर दूर से आते हैं नतमस्तक होने के लिए। महाकाल की नगरी होने से भगवान काल भैरव को उज्जैन नगर का सेनापति भी कहा जाता है। कालभैरव के शत्रु नाश मनोकामना को लेकर कहा जाता है कि यहां मराठा काल में महादजी शिन्दे (सिंधिया)  ने युद्ध में विजय के लिए भगवान को अपनी पगड़ी अर्पित की थी। इसी तरह पानीपत के युद्ध में मराठों की पराजय के बाद तत्कालीन शासक महादजी शिन्दे (सिंधिया) ने राज्य की पुर्नस्थापना के लिए भगवान के सामने पगड़ी रख दी थी। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि युद्ध में विजयी होने के बाद वे मंदिर का जीर्णोद्धार करेंगे। कालभैरव की कृपा से महादजी शिन्दे (सिंधिया) युद्धों में लगातार विजय हासिल करते चले गए। इसके बाद उन्होंने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। तब से मराठा सरदारों की पगड़ी भगवान कालभैरव के शीश पर पहनाई जाती है! यह आस्था अब परम्परा भी बन चुकी है। ज़िंदगी की परेशानियां जब सभी कोशिशों को नाकाम करती हुईं हराने लगती हैं तो उस समय बेहद मुश्किल होता है खुद को आत्महत्या से बचा पाना। जीत या मौत दो ही रस्ते बाकी बचते हैं तो भैरव बाबा संघर्ष की प्रेरणा देते हैं। इस जंग में अग्रसर होते ही भक्तों को विजय मिलनी शुरू हो जाती है। बहुत ही बेबाकी और दलेरी मिलती है भैरव बाबा की कृपा हो जाए तो। बहिराव स्वयं भी तो ऐसे ही हैं।  

स्वंय ब्रह्मा की गलती पर जब भैरव बाबा को क्रोध आया तब आपने अपने बाँए हाथ के नाखून से उनका पाँचवा सिर काट कर अलग कर दिया। श्री शिव प्रिय काशी और उज्जैन नगरी के कोतवाल, बाबा महाकाल जी के सेनापति , सभी देवी के शक्तिपीठों के साथ रक्षक रुप में विराजमान, उन ऐसे प्यारे भगवान श्री देवाधिदेव महादेव जी के प्रिय मुख्य "भैरव" अवतार के प्राकट्योत्सव  की सभी भक्तों को हार्दिक मंगल बधाई भगवान् भैरव सभी भक्तों के भय का नाश करें। काल भैरव की आरती से हर रोज़ नई शक्ति मिलती है। इस आरती को पढ़ने के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं। 

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