Wednesday, January 1, 2020

मैडिकल साइंस ने ये लोगो चुराया हमारे वेदों से...

अब केवल “शिव लिंगम” रह गया-Water Channel गायब है
नाम भी “शिव लिंगम से शिव “लिंग” हो गया
साभार -ऋषि चैतन स्वामी जी की वाल से ।
आदरणीय जितेंद्र जैन जी के सौजन्य से ।
ॐ नमः शिवाय
शिव लिंगम के साथ Circular Water Channel भी हो अब केवल “शिव लिंगम” रह गया “Water Channel” गायब हो गया नाम भी “शिव लिंगम से शिव “लिंग” हो गया।

सनातन में पूजा की एक ही विधि होती थी “कुंडलिनी जागरण” । जिस का रूप बदल कर जगराते कर दिया रात भर जागो ढोल बजाओ स्पीकर लगाओ शोर मचाओ।

सुख, दुख, लाभ, हानि, जीवन, मरण, स्वास्थ्य और बीमारी में उलझा हुआ मनुष्य जीवन।

कभी आप बेवजह उदास हो जाते हैं कभी खुश हो जाते हैं कभी दुःख और उस दुख के कारण रोग। कभी भयभीत हो जाते हो भविष्य को लेकर कभी प्रसन्नचित्त हो जाते हो।

कभी कारण होता है कभी कोई कारण नहीं होता। विज्ञान में इस को हार्मोन संतुलन असंतुलन कहा जाता है।

पुराने समय में इन को कुंडलिनी कहा जाता था ये सात प्रकार की होती हैं और हार्मोनस भी मुख्यत 7 प्रकार के ही होते हैं। खून में ग्लूकोज वसा प्रोटीन का काम इन हार्मोनस का होता है असंतुलन होने पर डिप्रेशन से ले कर कैंसर तक की सभी बीमारियाँ घेर लेती हैं। ये हार्मोन्स हमारे हमारे शरीर में विभिन्न गर्न्थियो के रूप में होती है।

ये ही काम हमारे 7 चक्र या कुंडलिनी भी करती हैं ये हम को स्वस्थ रखती है प्रसन्नचित्त रखती है बीमारियों से दूर रखती है मगर इस का भी संतुलन बहुत जरुरी है।

पांच चक्रों में तो हर किसी का आना जाना लगा रहता है

1 मूलाधार चक्र
2 स्वाधिष्ठान चक्र
3 मणिपूर चक्र
4 अनाहत चक्र
5 विशुद्धख्य चक्र

उस के बाद आता है
6 आज्ञाचक्र और
7 सहस्रार चक्र

आज्ञाचक्र दोनों आँखों के मध्य में होता है और सहस्रार पंडितजी की चोटी के पास।

पूजा करनी होती है आज्ञाचक्र और सहस्रार चक्र को जगाने की बाकि प्रयास करना होता है पांचो चक्रों के संतुलन का। ये सब ईश्वर प्राप्ति के लिए नहीं ये अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए होता है। इन कुंडलिनी जागरण और संतुलन करने वाला दैवी-देवताओं वाले सुखों का भोग करता है।

अब वापस आते है शिव लिंगम और Circular Water Channel पर।

इस Circular Water Channel में दो सर्प की आकृति है इस को समझने के लिए आपको मडिकल साइंस के logo को देखना होगा। ये मैडिकल का LOGO ( #Caduceus ) है। दो सर्प बीच में एक छड और ऊपर पंख। ये दो सर्प और छड रूपक हैं हमारे शरीर के ऊर्जा के परिवन का। मैडिकल साइंस ने ये लोगो चुराया हमारे वेदों से।

एक छड सुषुम्ना नाडी कहलाती है दो सर्प हैं इड़ा, पिंगला नाडी कहलाती है। ये लिपटी हुई है हमारे रीड की हड्डी से ये अद्रश्य होती हैं ये ऊर्जा का संचार करती हैं उस ऊर्जा से हम स्वस्थ, समृद्ध, धनवान और निरोगी रहते हैं।

7 हार्मोन्स 7 चक्र इन का संतुलन बनाये रखना ही पूजा पद्धति होता है ध्यान होता है। इन में से आपने सतावे चक्र को साध लिया या प्रयास भी किया तो समझो आप सर्वोच्च चेतना के आसन पर पहुँच गए। यह मानवीय विकास का उच्चतम बिंदु है। यही वह मास्टर चाबी है जो सभी चक्रों की जागृति को नियंत्रित करती है।

सहस्रार चक्र
ये शिव का निवास है इस को ही शिव बोला जाता है ये हमारे शरीर के उच्चतम शिखर पर है मतलब मष्तिक में। इस को विज्ञान में पीनियल ग्रंथि बोलते हैं। इस पीनियल ग्रंथि को शिव लिंगम कहते हैं इस पीनियल ग्रंथि के एक्टिव होने पर इस में से एक रसायन निकलता है जिस को मेलाटोनिन कहते है जो रक्त वाहिकाओं से हमारे रक्त में जाता है इस प्रक्रिया को PINOLINE बोलते हैं।

Circular Water Channel में एक सर्प उस रसायन को शिव लिंगम से लाता है तो दूसरा उस को आगे बढाता है। ये था हमारा शुद्ध धर्म जो विज्ञान पर आधारित है कोई कोरी कल्पना नहीं।

आगे कुछ भाई पूछते हैं की इस को मिटाया क्यूँ गया? कारण सपष्ट है वैदिक धर्म से सब धर्म निकले है । भारत बहुत समृद्ध देश था और रहेगा। इस को लूट कर अपना घर भरना इसके लिए ज़रूरी है भारत वासियों को बीमार किया जाये भय डर बिमारियां। मगर वो जानते है की इन के पास शिव शक्ति है इसलिए शिव शक्ति पर हमला किया गया। लिंगम को लिंग बना कर Circular Water Channel को हटा कर। इसलिए बोलता हूँ अपने धर्म को पहचानो जानो और मानो।

अब आपको ऐसे आकृति किसी भी किले में मिले जहाँ दो सर्प मिल रहे हों ये सर्प जैसा कुछ तो समझ लेना वो हिन्दू समारक है हिन्दू मंदिर है फिर लाल किला हो या ताजमहल हो या कोई मस्जिद। इस को मुगल और अफगान आर्ट बोला गया है जब की इन गधो के ये नहीं पता की इन सब का बाप सनातन है।

ॐ त्र्यम्बनकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धaनान् मृत्यो र्मुक्षीय मामृतात् ॐ

ॐ नमः शिवाय
स्रोत: Pinki Jain