बगलामुखी मां की आराधना मात्र से दूर हो जाते हैं सारे संकट
लुधियाना:6 फरवरी 2014: (तंत्र स्क्रीन टीम):
बगलामुखी हवन यज्ञ का नाम बहुत ही रहस्य और भय युक्त श्रद्धा से लिया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से जहाँ पंजाब में शनि मंदिरों की संख्या बढ़ी है, गणेश जी की शोभा यात्रा, शिव भगवान की शोभा यात्रा, भगवान जगन्नाथ जी की शोभायात्रा और बाला जी का गुणगान तेज़ी से बढ़ा--हनुमान जी के मंदिरों में वृद्धि हुई है वहीँ बगलामुखी साधना के भक्त भी तेज़ी से बढ़े हैं। लुधियाना में भी भक्ति और तंत्र का यह रंग तेज़ी से ज़ोर पकड़ रहा है। गौरतलब है कि बगलामुखी तंत्र साधना से लोग वशीकरण, मारण, उच्चाटन आदि कार्यों को बखूबी अंजाम देते हैं। अपने मन की असाध्य और असम्भव चाहतों की बात को पूर्ण करने के लिए लोग इस तंत्र साधना का प्रयोग करते हैं और तंत्र-मंत्र पर विश्वास करने वाले लोगों का पूरी तरह यह मानना है की इससे बेहतर कोई अन्य विकल्प है ही नहीं। साधना करने वालों का कहना है कि बगलामुखी मां की आराधना मात्र से साधक के सारे संकट दूर हो जाते हैं और श्री में भी हैरानीजनक हद तक वृद्धि होती है। इसकी ताज़ा मिसाल है लुधियाना की पक्खोवाल रोड पर स्थित सिंगला एन्क्लेव इलाके के बहुत सुंदर मार्ग पर बनने वाला माँ बगलामुखी मंदिर। दो हज़ार गज़ जगह का यह टुकड़ा कुछ वर्ष पूर्व तक़रीबंद डेड करोड़ रुपयों में खरीदा गया था। उसके बाद कुछ समय और व्यतीत हुआ लेकिन अब मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है। इस मकसद के लिए बाकायदा 72 घंटे का अखंड हवन यज्ञ कराया गया जिसके लिए विशेष नाथ जोगी भी बुलवाये गए।
Video: लुधियाना में दो हज़ार गज़ जगह में बन रहा है मां बगला मुखी का मंदिर --वीडियो देखें
इस गहन तांत्रिक साधना को जानने हैं कि स साधना से शत्रुओं का शमन होता है, लम्बे समय से चले आ रहे विवाद झटपट निपट जाते हैं। अपने ऊपर हो रहे अकारण अत्याचार से बचाव के मामले में भी इसे अचूक माना जाता है। कहते हैं कि अगर किसी को सबक सिखाना हो तो या फिर मुकद्दमा जीतना हो या फिर असाध्य रोगों से छुटकारा पाना हो, बंधनमुक्त होना हो, संकट और ऋण से उद्धार पाना हो तो इस साधना से बढ़कर और कुछ भी नहीं। साधना का मर्म जाने वालों का कहना है कि नवग्रहों के दोष से मुक्ति के लिए तथा किसी अन्य के टोने को बेअसर करने के लिए भी बगलामुखी हवन मंत्र यज्ञ इत्यादि संजिवनी बुटी हैं। तंत्र मंत्र में महारथ हासिल किए जानकार कहते हैं की बाहर के शत्रु जातक को उतना नुकसान नहीं पहुंचाते जितना सगे संबंधी पहुंचाते हैं लेकिन उनका अक्सर पता नहीं चलता। जब तक बात सामने आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उस नाज़ुक हालन में
भी बगलामुखी मां ही सहायक साबित होती है।
लेकिन यह साधना बेहद कठिन है। लगातार बारह बारह घंटे तक बिना कुछ खाये पिए इस हवन की तप्त अग्नि और आंसू ला देने वाले धूंए में बैठ कर हवन यज्ञ को परिपूर्ण करने वाले नाथ जोगी सत्य नाथ का कहना है कि अगर ज़रा सी भी चूक हो जाये तो बस सारा काम उल्टा भी हो जाता है। ज़रा सी चूक और और साधक का दिमाग ही चला जाता है। बगलामुखी साधना को पूर्ण करने के लिए निम्न बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए अन्यथा साधना अपूर्ण रह जाती है और इस अपूर्ण साधना से साधक को बेहद कष्ट भोगना पड़ता है। इसी लिए लोग बहुत डरते भी हैं इस साधना से।
साधना के नियमों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यह एक बहुत ही साधना है। इसमें नियमों का पूरा ध्यान रखना अतिआवश्यक है। नियमों का संक्षेप विवरण इस प्रकार है :
*बगलामुखी साधना करते समय पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिए। इसमें ढील का कोई मतलब ही नहीं।
किसी भी स्त्री को छुना, वार्तालाप करना यहां तक कि सपने में भी किसी स्त्री का आना इस साधना में पूर्णत: निषेध है। ऐसा न करने से साधना खण्डित हो जाएगी और साधक को कष्ट उठाना पड़ेगा। इसलिए बहुत सात्विक जीवन जीने वाला ही इस साधना को कर सकता है।
*यह किसी कमज़ोर दिल वाले के बस की साधना नहीं है। इस साधना को करने के लिए किसी डरपोक व्यक्ति या बच्चे का सहारा नहीं लेना चाहिए। जो लोग साधना करना चाहते हों पहले उन्हें खुद कि सात्विक और बलवान बना लेना चाहिए। बगलामुखी साधना करते समय साधक को कई तरह का डर भी लगेगा, विचित्र तरह कि बहुत सी आवाजें भी सुनायी देंगीं और बहुत से अन्य खौफनाक आभास भी हो सकते हैं लेकिन साधक को निडर और मज़बूत रहना होगा। श्रद्धा,और नियमों के पालन के बिना साधना परिपूर्ण नहीं होती। साधना जानने वालों का कहना है कि जिन साधकों/जातकों को काले अंधेरों और पारलौकिक ताकतों से भय लगता हो, उन्हें यह साधना कदापि नहीं करनी चाहिए वर्ण उनके लिए उल्ट परिणाम सामने आ सकते हैं।
* नवरात्रि के दिनों में बगलामुखी साधना करना सबसे उत्तम फल देता है। मंत्रों का जाप शुक्ल पक्ष में करना अत्यन्त शुभ फल देता है। रात्री होते होते साधकों संख्या कम हो जाती है लेकिन उनकी वाणी और कृत्य में जोश आ जाता है। वे किसी दैवीय शक्ति का आभास देते हुए इतने ऊंचे सवर में बोलते हैं कि दूर दूर तक लगने लगता है न जेन कितनी बड़ी संख्या में भक्त बोल रहे हैं। रात के सन्नाटे में इसका प्रभाव और भी बढ जाता है। इस मंदिर में भी रात का नज़ारा देखने वाला था। दूर दूर तक अँधेरा और मंदिर के केंद्र में हवन यज्ञ की अग्नि में चमकते साधकों के चेहरे।
* मंत्रों का जाप करते करते साधकों का स्वर अपने आप तेज होने लगता है ऐसा होने पर घबराने की कोई बात नहीं होती। यह एक अच्छा संकेत है। इसलिए बिना भटके मन को पूजा पाठ में हुए चिंतित हुए बिना अपना ध्यान मंत्रों पर केंद्रित रखें। तान मन दोनों में एक नयी शक्ति का आभास लगेगा।
* इस साधना के नियमों के मुताबिक उत्तर की ओर मुंह करके बैठने के बाद ही साधना का आरंभ करें। इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं। साधक को सफलता मिलती है।
* कहा जाता है भोजन, भजन और नारी तीनों पर्दे के अधिकारी लेकिन इस साधना में यह बात विशेष रूप से लागू होती है। इस साधना को गुप्त रूप से करें जल्द सफलता मिलेगी। जब तक साधना पूर्ण न हो जाए किसी से भी इस विषय पर वार्ता न करें। वाणी पर नियंत्रण भी इसके नियमों में है।
* इसका विधिविधान भी विशेष है। साधना आरंभ करने से पूर्व अपने चारों ओर घी और तेल के दिए जलाएं।
*साधना करते वक्त पीले रंग के वस्त्र धारण करें और पीले रंग के आसन का ही उपयोग करें।
*उपवास सबसे अच्छा होता है। लेकिन अगर कठिन लगे तो अल्पाहार ही करें।
*साधकों का अभियास भी होता है और उपवास के कारण उन्हें लघुशंका इत्यादि की समस्या होती ही नहीं भी लेकिन अगर यत्ना ही पड़े तो दोबारा स्नान करके ही हवन में जाएं।
पंजाब स्क्रीन में भी देखें इसी विषय पर विशेष सामग्री
बगलामुखी मां की आराधना मात्र से दूर हो जाते हैं सारे संकट
लुधियाना:6 फरवरी 2014: (तंत्र स्क्रीन टीम):
बगलामुखी हवन यज्ञ का नाम बहुत ही रहस्य और भय युक्त श्रद्धा से लिया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से जहाँ पंजाब में शनि मंदिरों की संख्या बढ़ी है, गणेश जी की शोभा यात्रा, शिव भगवान की शोभा यात्रा, भगवान जगन्नाथ जी की शोभायात्रा और बाला जी का गुणगान तेज़ी से बढ़ा--हनुमान जी के मंदिरों में वृद्धि हुई है वहीँ बगलामुखी साधना के भक्त भी तेज़ी से बढ़े हैं। लुधियाना में भी भक्ति और तंत्र का यह रंग तेज़ी से ज़ोर पकड़ रहा है। गौरतलब है कि बगलामुखी तंत्र साधना से लोग वशीकरण, मारण, उच्चाटन आदि कार्यों को बखूबी अंजाम देते हैं। अपने मन की असाध्य और असम्भव चाहतों की बात को पूर्ण करने के लिए लोग इस तंत्र साधना का प्रयोग करते हैं और तंत्र-मंत्र पर विश्वास करने वाले लोगों का पूरी तरह यह मानना है की इससे बेहतर कोई अन्य विकल्प है ही नहीं। साधना करने वालों का कहना है कि बगलामुखी मां की आराधना मात्र से साधक के सारे संकट दूर हो जाते हैं और श्री में भी हैरानीजनक हद तक वृद्धि होती है। इसकी ताज़ा मिसाल है लुधियाना की पक्खोवाल रोड पर स्थित सिंगला एन्क्लेव इलाके के बहुत सुंदर मार्ग पर बनने वाला माँ बगलामुखी मंदिर। दो हज़ार गज़ जगह का यह टुकड़ा कुछ वर्ष पूर्व तक़रीबंद डेड करोड़ रुपयों में खरीदा गया था। उसके बाद कुछ समय और व्यतीत हुआ लेकिन अब मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है। इस मकसद के लिए बाकायदा 72 घंटे का अखंड हवन यज्ञ कराया गया जिसके लिए विशेष नाथ जोगी भी बुलवाये गए।
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भी बगलामुखी मां ही सहायक साबित होती है।
लेकिन यह साधना बेहद कठिन है। लगातार बारह बारह घंटे तक बिना कुछ खाये पिए इस हवन की तप्त अग्नि और आंसू ला देने वाले धूंए में बैठ कर हवन यज्ञ को परिपूर्ण करने वाले नाथ जोगी सत्य नाथ का कहना है कि अगर ज़रा सी भी चूक हो जाये तो बस सारा काम उल्टा भी हो जाता है। ज़रा सी चूक और और साधक का दिमाग ही चला जाता है। बगलामुखी साधना को पूर्ण करने के लिए निम्न बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए अन्यथा साधना अपूर्ण रह जाती है और इस अपूर्ण साधना से साधक को बेहद कष्ट भोगना पड़ता है। इसी लिए लोग बहुत डरते भी हैं इस साधना से।
साधना के नियमों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यह एक बहुत ही साधना है। इसमें नियमों का पूरा ध्यान रखना अतिआवश्यक है। नियमों का संक्षेप विवरण इस प्रकार है :
*बगलामुखी साधना करते समय पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिए। इसमें ढील का कोई मतलब ही नहीं।
किसी भी स्त्री को छुना, वार्तालाप करना यहां तक कि सपने में भी किसी स्त्री का आना इस साधना में पूर्णत: निषेध है। ऐसा न करने से साधना खण्डित हो जाएगी और साधक को कष्ट उठाना पड़ेगा। इसलिए बहुत सात्विक जीवन जीने वाला ही इस साधना को कर सकता है।
*यह किसी कमज़ोर दिल वाले के बस की साधना नहीं है। इस साधना को करने के लिए किसी डरपोक व्यक्ति या बच्चे का सहारा नहीं लेना चाहिए। जो लोग साधना करना चाहते हों पहले उन्हें खुद कि सात्विक और बलवान बना लेना चाहिए। बगलामुखी साधना करते समय साधक को कई तरह का डर भी लगेगा, विचित्र तरह कि बहुत सी आवाजें भी सुनायी देंगीं और बहुत से अन्य खौफनाक आभास भी हो सकते हैं लेकिन साधक को निडर और मज़बूत रहना होगा। श्रद्धा,और नियमों के पालन के बिना साधना परिपूर्ण नहीं होती। साधना जानने वालों का कहना है कि जिन साधकों/जातकों को काले अंधेरों और पारलौकिक ताकतों से भय लगता हो, उन्हें यह साधना कदापि नहीं करनी चाहिए वर्ण उनके लिए उल्ट परिणाम सामने आ सकते हैं।
* नवरात्रि के दिनों में बगलामुखी साधना करना सबसे उत्तम फल देता है। मंत्रों का जाप शुक्ल पक्ष में करना अत्यन्त शुभ फल देता है। रात्री होते होते साधकों संख्या कम हो जाती है लेकिन उनकी वाणी और कृत्य में जोश आ जाता है। वे किसी दैवीय शक्ति का आभास देते हुए इतने ऊंचे सवर में बोलते हैं कि दूर दूर तक लगने लगता है न जेन कितनी बड़ी संख्या में भक्त बोल रहे हैं। रात के सन्नाटे में इसका प्रभाव और भी बढ जाता है। इस मंदिर में भी रात का नज़ारा देखने वाला था। दूर दूर तक अँधेरा और मंदिर के केंद्र में हवन यज्ञ की अग्नि में चमकते साधकों के चेहरे।
* मंत्रों का जाप करते करते साधकों का स्वर अपने आप तेज होने लगता है ऐसा होने पर घबराने की कोई बात नहीं होती। यह एक अच्छा संकेत है। इसलिए बिना भटके मन को पूजा पाठ में हुए चिंतित हुए बिना अपना ध्यान मंत्रों पर केंद्रित रखें। तान मन दोनों में एक नयी शक्ति का आभास लगेगा।
* कहा जाता है भोजन, भजन और नारी तीनों पर्दे के अधिकारी लेकिन इस साधना में यह बात विशेष रूप से लागू होती है। इस साधना को गुप्त रूप से करें जल्द सफलता मिलेगी। जब तक साधना पूर्ण न हो जाए किसी से भी इस विषय पर वार्ता न करें। वाणी पर नियंत्रण भी इसके नियमों में है।
* इसका विधिविधान भी विशेष है। साधना आरंभ करने से पूर्व अपने चारों ओर घी और तेल के दिए जलाएं।
*साधना करते वक्त पीले रंग के वस्त्र धारण करें और पीले रंग के आसन का ही उपयोग करें।
*उपवास सबसे अच्छा होता है। लेकिन अगर कठिन लगे तो अल्पाहार ही करें।
*साधकों का अभियास भी होता है और उपवास के कारण उन्हें लघुशंका इत्यादि की समस्या होती ही नहीं भी लेकिन अगर यत्ना ही पड़े तो दोबारा स्नान करके ही हवन में जाएं।
पंजाब स्क्रीन में भी देखें इसी विषय पर विशेष सामग्री
बगलामुखी मां की आराधना मात्र से दूर हो जाते हैं सारे संकट
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