Monday, December 7, 2020

तिवारी जी ने बताया लक्ष्मी पाने के लिए गारंटी जैसा तंत्र प्रयोग

Posted On Sunday:6th December 2020 at 08:44 AM

 वायदा भी कि धन न आए ऐसा हो ही नहीं सकता 


तंत्र स्क्रीन: 7 दिसंबर 2020 (सोशल मीडिया//तंत्र स्क्रीन)::

Abhinandan Tiwari   अर्थात श्री अभिनंदन तिवारी  जी भी बहुत ही तेज़ी से लोकप्रियता की ऊंचाईयां छू रहे हैं। आसान से टोटकों और सादगी भरे शब्दों से सजे मंत्रों के ज़रिए असम्भव सी मुश्किलों को दूर कर देना उनकी मुहारत में शामिल है। बिना किसे बड़े खर्चे के उपाय बताना उनकी बहुत बड़ी खूबी है। न ज़्यादा बहस-न ही तर्क न ही विरोध। श्रद्धा, आस्था और प्रेम है तो काम अवश्य होगा अगर कुछ और ही मन में घूम रहा है तो उसी के मुताबिक फल भी मिलेगा। दरिद्रता हटाने के लिये, लक्ष्मी को पाने के लिए लोग क्या क्या जतन नहीं करते लेकिन सफलता बहुत ही कम मिलती है। इस मकसद की पूर्ती के लिए ब्रह्मण्ड की कौन सी तरंगों को तंत्र और मंत्र के ज़रिये झंकृत करना है इसका रास्ता बता रहे हैं अभिनंदन शास्त्री। आप भी जानिए इसे पढ़ कर लाभ आप भी उठा सकते हैं। --मीडिया लिंक रविंद्र 

॥ॐक्रीं कालिकायै॥

प्रिय मित्रों  

आज आपके समक्ष ऐसे प्रयोग दे रहे हैं जिसे करने के बाद ऐसा हो ही नही सकता कि दरिद्रता आपके घर को छोड़ कर भाग न जाये। 

आपके घर लक्ष्मी का वास होगा कल्याण होगा यह प्रयोग अद्भुत है।

जिनके घर दरिद्रता का वास हो धन नही टिकते हो आर्थिक संकट हमेशा बने रहते हो कर्ज दिन ब दिन बढ़ता जा रहा हो।

वे लोग इस प्रयोगको इस जरूर करें पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करें।

हर सिंगार के पौधे आप सब जानते हैं देखे भी होंगे कई लोगों के घर पर भी यह मौजूद है।

तो आपको रोहिणी नक्षत्र को नर्सरी से इस पौधे को घर लाना है।

नर्सरी से आपको यह पौधा मिल जाएगा आपको रोहिणी नक्षत्र के दिन यह लाना है और उसी दिन आपके घर मे मुख्य दरवाजे main door के बाहर जब आप घर से निकले तो दाए तरफ आपके दाएं तरफ एक गड्ढे खोदना है।

उस गड्ढे में गाय के कच्चे दूध डालना है पांच सिक्के एक रुपये के उसमे डालना है और उसी में पांच कौड़ी आपको डालना है।

इसी में पांच गोमती चक्र डालना है फिर उस पौधे को लगाना है फिर उसमे गंगाजल डाल दे।

अब इस पौधे का देख रेख करें इसे बढ़ने दे।

जैसे जैसे यह पौधा बड़ा होता जाएगा वैसे वैसे आपके घर से दरिद्रता का नाश होता जाएगा आप आर्थिक रूप से सम्पन्न होते चले जायेंगे।

कर्ज उतरने लगेगा आपका मंगल होने लगेंगे यह बहुत शक्तिशाली प्रयोग है दरिद्रता निवारण के लिए।

आपका अनुभव कैसा रहता हमें अवश्य बताएं। लक्ष्मी आ जाए तब भी बताना और न आ पाए  बताना। हमें आपके विचारों की इंतज़ार रहेगी। --मीडिया लिंक रविंद्र 


Wednesday, January 1, 2020

मैडिकल साइंस ने ये लोगो चुराया हमारे वेदों से...

अब केवल “शिव लिंगम” रह गया-Water Channel गायब है
नाम भी “शिव लिंगम से शिव “लिंग” हो गया
साभार -ऋषि चैतन स्वामी जी की वाल से ।
आदरणीय जितेंद्र जैन जी के सौजन्य से ।
ॐ नमः शिवाय
शिव लिंगम के साथ Circular Water Channel भी हो अब केवल “शिव लिंगम” रह गया “Water Channel” गायब हो गया नाम भी “शिव लिंगम से शिव “लिंग” हो गया।

सनातन में पूजा की एक ही विधि होती थी “कुंडलिनी जागरण” । जिस का रूप बदल कर जगराते कर दिया रात भर जागो ढोल बजाओ स्पीकर लगाओ शोर मचाओ।

सुख, दुख, लाभ, हानि, जीवन, मरण, स्वास्थ्य और बीमारी में उलझा हुआ मनुष्य जीवन।

कभी आप बेवजह उदास हो जाते हैं कभी खुश हो जाते हैं कभी दुःख और उस दुख के कारण रोग। कभी भयभीत हो जाते हो भविष्य को लेकर कभी प्रसन्नचित्त हो जाते हो।

कभी कारण होता है कभी कोई कारण नहीं होता। विज्ञान में इस को हार्मोन संतुलन असंतुलन कहा जाता है।

पुराने समय में इन को कुंडलिनी कहा जाता था ये सात प्रकार की होती हैं और हार्मोनस भी मुख्यत 7 प्रकार के ही होते हैं। खून में ग्लूकोज वसा प्रोटीन का काम इन हार्मोनस का होता है असंतुलन होने पर डिप्रेशन से ले कर कैंसर तक की सभी बीमारियाँ घेर लेती हैं। ये हार्मोन्स हमारे हमारे शरीर में विभिन्न गर्न्थियो के रूप में होती है।

ये ही काम हमारे 7 चक्र या कुंडलिनी भी करती हैं ये हम को स्वस्थ रखती है प्रसन्नचित्त रखती है बीमारियों से दूर रखती है मगर इस का भी संतुलन बहुत जरुरी है।

पांच चक्रों में तो हर किसी का आना जाना लगा रहता है

1 मूलाधार चक्र
2 स्वाधिष्ठान चक्र
3 मणिपूर चक्र
4 अनाहत चक्र
5 विशुद्धख्य चक्र

उस के बाद आता है
6 आज्ञाचक्र और
7 सहस्रार चक्र

आज्ञाचक्र दोनों आँखों के मध्य में होता है और सहस्रार पंडितजी की चोटी के पास।

पूजा करनी होती है आज्ञाचक्र और सहस्रार चक्र को जगाने की बाकि प्रयास करना होता है पांचो चक्रों के संतुलन का। ये सब ईश्वर प्राप्ति के लिए नहीं ये अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए होता है। इन कुंडलिनी जागरण और संतुलन करने वाला दैवी-देवताओं वाले सुखों का भोग करता है।

अब वापस आते है शिव लिंगम और Circular Water Channel पर।

इस Circular Water Channel में दो सर्प की आकृति है इस को समझने के लिए आपको मडिकल साइंस के logo को देखना होगा। ये मैडिकल का LOGO ( #Caduceus ) है। दो सर्प बीच में एक छड और ऊपर पंख। ये दो सर्प और छड रूपक हैं हमारे शरीर के ऊर्जा के परिवन का। मैडिकल साइंस ने ये लोगो चुराया हमारे वेदों से।

एक छड सुषुम्ना नाडी कहलाती है दो सर्प हैं इड़ा, पिंगला नाडी कहलाती है। ये लिपटी हुई है हमारे रीड की हड्डी से ये अद्रश्य होती हैं ये ऊर्जा का संचार करती हैं उस ऊर्जा से हम स्वस्थ, समृद्ध, धनवान और निरोगी रहते हैं।

7 हार्मोन्स 7 चक्र इन का संतुलन बनाये रखना ही पूजा पद्धति होता है ध्यान होता है। इन में से आपने सतावे चक्र को साध लिया या प्रयास भी किया तो समझो आप सर्वोच्च चेतना के आसन पर पहुँच गए। यह मानवीय विकास का उच्चतम बिंदु है। यही वह मास्टर चाबी है जो सभी चक्रों की जागृति को नियंत्रित करती है।

सहस्रार चक्र
ये शिव का निवास है इस को ही शिव बोला जाता है ये हमारे शरीर के उच्चतम शिखर पर है मतलब मष्तिक में। इस को विज्ञान में पीनियल ग्रंथि बोलते हैं। इस पीनियल ग्रंथि को शिव लिंगम कहते हैं इस पीनियल ग्रंथि के एक्टिव होने पर इस में से एक रसायन निकलता है जिस को मेलाटोनिन कहते है जो रक्त वाहिकाओं से हमारे रक्त में जाता है इस प्रक्रिया को PINOLINE बोलते हैं।

Circular Water Channel में एक सर्प उस रसायन को शिव लिंगम से लाता है तो दूसरा उस को आगे बढाता है। ये था हमारा शुद्ध धर्म जो विज्ञान पर आधारित है कोई कोरी कल्पना नहीं।

आगे कुछ भाई पूछते हैं की इस को मिटाया क्यूँ गया? कारण सपष्ट है वैदिक धर्म से सब धर्म निकले है । भारत बहुत समृद्ध देश था और रहेगा। इस को लूट कर अपना घर भरना इसके लिए ज़रूरी है भारत वासियों को बीमार किया जाये भय डर बिमारियां। मगर वो जानते है की इन के पास शिव शक्ति है इसलिए शिव शक्ति पर हमला किया गया। लिंगम को लिंग बना कर Circular Water Channel को हटा कर। इसलिए बोलता हूँ अपने धर्म को पहचानो जानो और मानो।

अब आपको ऐसे आकृति किसी भी किले में मिले जहाँ दो सर्प मिल रहे हों ये सर्प जैसा कुछ तो समझ लेना वो हिन्दू समारक है हिन्दू मंदिर है फिर लाल किला हो या ताजमहल हो या कोई मस्जिद। इस को मुगल और अफगान आर्ट बोला गया है जब की इन गधो के ये नहीं पता की इन सब का बाप सनातन है।

ॐ त्र्यम्बनकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धaनान् मृत्यो र्मुक्षीय मामृतात् ॐ

ॐ नमः शिवाय
स्रोत: Pinki Jain