Monday, September 16, 2024

ग्युतो तांत्रिक कॉलेज:तिब्बती बौद्ध ज्ञान का गढ़

Monday:16th September 2024 at 11:21 AM

एक पूर्ण और सफल इंसान बना  देते हैं इस कठिन परीक्षण से 


धर्मशाला
: (हिमाचल प्रदेश): 16 सितंबर 2024: (मीडिया लिंक//तंत्र स्क्रीन डेस्क)::

भारत में हिमाचल प्रदेश  स्थित धर्मशाला के सुरम्य शहर में स्थित, ग्युतो तांत्रिक कॉलेज तिब्बती बौद्ध धर्म की समृद्ध परंपराओं को संरक्षित करने और प्रचारित करने के लिए समर्पित एक प्रसिद्ध संस्थान है। 1474 में जेत्सुन कुंगा धोंडुप द्वारा स्थापित, जो कि प्रख्यात जे त्सोंगखापा के एक समर्पित शिष्य थे, यह प्रतिष्ठित कॉलेज सदियों से आध्यात्मिक उत्कृष्टता का प्रतीक रहा है।

बिना कोई शोर मचाए ये लोग अपने मिशन और मकसद में लगे रहते हैं। इनका उद्देश्य और इनके कार्य  भी सचमुच महान हैं। ग्युतो तांत्रिक कॉलेज वज्रयान बौद्ध धर्म की उन्नत और गूढ़ शिक्षाओं में मुहारत हासिल करने के इच्छुक भिक्षुओं के लिए प्रमुख गंतव्य है। यह विशेष कॉलेज तांत्रिक ज्ञान के उच्चतम स्तर को प्रदान करने में माहिर है, जिसमें ज़ोर दिया जाता है  बातों पर जो संक्षेप में इस तरह हैं। 

इस प्रशिक्षण के अनुष्ठान अभ्यास बहुत गहरे हैं। जटिल समारोह, पवित्र मंत्रोच्चार और तोरमा (मक्खन की मूर्ति) निर्माण पर यहां काफी ध्यान दिया जाता है। 

इसके साथ ही ध्यान और माइंडफुलनेस को बहुत परिपक्व किया जाता है।  गहन विज़ुअलाइज़ेशन तकनीक, मंत्रोच्चार और एकाग्रता के अभ्यास से  को बहुत गहराई से शिष्यों और छात्रों के मन  बैठाया जाता है। 

इस तरह की गहरी तैयारियों के बाद ही बारी आ पाती है तंत्र के प्रशिक्षण की। तांत्रिक अध्ययन के दौरान बौद्ध धर्मग्रंथों, दर्शन और प्रतीकवाद की गहन खोज करवाई जाती है। 

इस तंत्र कालेज का शैक्षणिक प्रभाव बहुत ही सूक्ष्मता से तन और मन पर प्रभाव डालता है। ग्युटो तांत्रिक कॉलेज एक परिवर्तनकारी शिक्षा प्रदान करता है, जिसके ज़रिए निम्नलिखित को पूरी तरह से विकसित किया जाता है। 

आध्यात्मिक विकास के लिए भिक्षु कठोर आध्यात्मिक अभ्यासों के माध्यम से गहन अंतर्दृष्टि, करुणा और ज्ञान विकसित करते हैं। उन्हें अभ्यास की सख्ती बहुत निपुण बना देती है। हर तरह से विकसित मानव भी और तांत्रिक भी। 

कौशल निपुणता में ट्रेनिंग के दौरान  को जप, अनुष्ठान प्रदर्शन, वाद-विवाद और कलात्मक अभिव्यक्ति (मंडल, तोरमा) में पूरी विशेषज्ञता दी जाती  है। हर तरह से पूरी तरह निपुण बना दिया जाता है। 

यहां का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद इनके छात्र सफल व्यक्ति बन जाते हैं। तरक्की के साथ साथ नेतृत्व और शिक्षण में,इनके स्नातक दुनिया भर में तिब्बती बौद्ध धर्म के सम्मानित शिक्षक, नेता और राजदूत बन जाते हैं। हर क्षेत्र में इनका डंका  बोलता है। 

यहां का पाठ्यक्रम भी बेहद महत्वपूर्ण है। कॉलेज के व्यापक पाठ्यक्रम में बहुत कुछ शामिल है नींव मज़बूत करने से लेकर जीवन के हर पहलु का निर्माण मज़बूत किया जाता है। आप कह सकते हैं कि यहाँ के  किसी भी तरह किसी सुपरमैन  नहीं होते।  संकट का सामना करना सिखाया जाता है। यहां के सिलेबस में जिन बातों पर ज़ोर दिया जाता है उनमें हैं- सूत्रयान अध्ययन: बौद्ध धर्मग्रंथों, दर्शन और नैतिकता की खोज। इसमें जीवन  पहलू नहीं छोड़ा जाता। हर विद्या सिखा दी जाती है। 

इसके बाद तंत्रयान अध्ययन गहराई से कराया जाता है। तांत्रिक अनुष्ठानों, ध्यान और विज़ुअलाइज़ेशन पर उन्नत शिक्षाएँ दी जाती हैं। जप योग और तंत्र हर मामले ये भिक्षु पूरी तरह से निपुण बन जाते हैं। 

फिर बारी आती है अनुष्ठान और समारोह अभ्यास की। इसके अंतर्गत पवित्र जप, तोरमा निर्माण और समारोह प्रक्रियाओं में पूरी गहराई से प्रशिक्षण दिया जाता है। 

यह सब सिखाने के बाद बारी आती है समुदाय और आउटरीच की। ग्युटो तांत्रिक कॉलेज भिक्षुओं, विद्वानों और आध्यात्मिक साधकों का एक जीवंत समुदाय है। इस कालेज में ट्रेनिंग देते वक्त किसी भी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ी जाती।  वाले हर  सक्षम बन जाते हैं। 

अपने छात्रों और शिष्यों की सफलता का पता लगाने के लिए  प्रबंधन  सार्वजनिक प्रदर्शन भी आयोजित करता है।  मंत्रोच्चार समारोह, अनुष्ठान प्रदर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने वाले होते हैं। यहाँ से पढ़ने वाले छात्रों को भी अपना हुनर दिखने का मौका मिलता है। 

यह कालेज अंतर्राष्ट्रीय आगंतुकों का भी पूरी  गर्मजोशी के साथ स्वागत करता है। आध्यात्मिक साधक, पर्यटक और शोधकर्ता यहाँ आते ही रहते हैं। उन्हें बहुत प्रेम  कहा  जाता है। 

अंतरधार्मिक संवाद का भी यह संस्थान समर्थन करता है। अन्य आध्यात्मिक परंपराओं के साथ सहयोग, आपसी समझ को बढ़ावा देना इनके लिए  प्राथमिक स्थान पर रहता है। 

कालेज का स्थान और संक्षिप्त इतिहास यहाँ फिर दोहराया जा रहा है। मूल रूप से यह संस्थान ल्हासा, तिब्बत में स्थापित रहा लेकिन ग्युटो तांत्रिक कॉलेज 1959 में चीनी आक्रमण के बाद धर्मशाला, भारत में स्थानांतरित हो गया। उस समय  नज़ाकत यही थी। आज, कॉलेज परम पावन दलाई लामा के निवास के पास फल-फूल रहा है, जो तिब्बती बौद्ध समुदाय के लचीलेपन और दृढ़ संकल्प का प्रतीक भी है।  नज़दीक  गुज़रो तो सुगंधित तरंगे मन ओके मोह लेती हैं। विरासत और प्रभाव भी ी इन तरंगों  रहते हैं। 

ग्युटो तांत्रिक कॉलेज ने तिब्बती संस्कृति को संरक्षित किया।  बौद्ध सम्पदा को  संभाला। प्राचीन परंपराओं, अनुष्ठानों और कलात्मक प्रथाओं की भी रक्षा की।जलावतनी के जीवन में यह सब आसान नहीं होता लेकिन इन लोगों ने यह सब कर दिखाया। 

इसके साथ ही आध्यात्मिक विकास को विकसित और प्रेरित किया। आध्यात्मिक नेताओं, विद्वानों और चिकित्सकों की पीढ़ियों का भी यहाँ पोषण किया।

चीन जैसी महाशक्ति का तीव्र विरोध सामने होने के बावजूद इनके तन, मन और चेहरों की शांति कभी  कम नहीं हुई। तिब्बती समुदाय के इन बुद्धिजीवियों ने वैश्विक समझ को बढ़ावा देना भी  प्राथमिक महत्व पर समझा।  तिब्बती बौद्ध धर्म के ज्ञान, करुणा और शांति को दुनिया के साथ साझा करना। यह सब इनकी दूरअंदेशी का भी  परिचायक है। 

हम अन्य पोस्टों में भी इस संस्थान के संबंध में चर्चा करते रहेंगे।  

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